लखनऊ । ठंड में लगातार उतार-चढ़ाव सामान्य तौर पर शरीर के लिए दिक्कतें पैदा करता है। उसपर आजकल होने वाली बारिश स्थिति को और भी ठंड से बचाव चुनौती से भरा बना देती है।
ऐसे में छोटे बच्चों पर तो इसका असर और भी ज्यादा हो सकता है। 0-6 साल की उम्र के बच्चे जो इस तरह के मौसम का पहली बार सामना कर रहे होते हैं, उनका विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। अक्सर ठंड के मौसम में बच्चों को बहुत सारे कपड़े पहना देते हैं। शिशुओं सबसे बड़ी चुनौती ही वातावरण से सामंजस्य बैठाने की होती है। उसका शरीर धीरे-धीरे इस बाहरी वातावरण को अडॉप्ट करता है। इसलिए जन्म से कम से कम 6 माह तक बच्चों को इस मौसम में सुरक्षित रखना जरूरी है।
डा . अवधेश बताते हैं कि ठंड के मौसम में केवल सर्दी-जुकाम ही नहीं है जो बच्चों को परेशान कर सकता है। इसके अलावा बुखार, उल्टी, दस्त, स्किन इंफेक्शन या रैशेज और फुंसियां, पेट दर्द, ड्राय कफ, डिहाइड्रेशन, निमोनिया, वायरल इंफेक्शन और कुछ मामलों में सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम के शिकार भी बच्चे हो सकते हैं। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम की स्थिति जरूरत से ज्यादा कपड़े में बच्चे को लाद देने से हो सकती है।
इसके अलावा शरीर के टेम्परेचर का एकदम घट जाना यानी हाइपोथर्मिया की स्थिति भी बन सकती है। कई बार बहुत तेज धूप बच्चे को सूरज की हानिकारक किरणों से होने वाले नुकसान भी दे सकता है। साधारण कपड़ों के ऊपर गर्म या ऊनी कपड़े, टोपी, मोजे और कुछ मामलों में तो डबल मोजे, बच्चे को पहना दिए जाते हैं। गर्म कपड़े सर्दियों में बच्चे को सुरक्षित रखते हैं, लेकिन ज्यादा कपड़े उसके लिए दिक्कत बीबी पैदा कर सकते हैं। जरूरी यह है कि बच्चे के लिए कपड़ो की सही लेयर के साथ उसकी नियमित पोषक खुराक और मालिश आदि जैसी सभी चीजों को भी ध्यान में रखा जाए। बच्चे को कड़क और चुभने वाले कपड़ों की जगह नरम कपड़ों की तीन लेयर पहनाएं। इसमें बनियान या शमीज जैसा कोई कपड़ा, एक पूरी बांहों का कोई टीशर्ट या ऊपरी कपड़ा और एक सॉफ्ट पजामा या ज्यादा ठंड हो तो वार्मर और एक स्वेटर पहनाएं। दिन में और रात में सोते समय हल्के कपड़े ही पहने रहने दें। स्वेटर और मोजे, टोपी आदि उतार दें। क्योंकि यदि बच्चे को पसीना आयेगा तो उसमें ठंडी हवा लगना तकलीफ दे सकता है।
्कोशिश करें कि बच्चे को मच्छरदानी में ही सुलाएं। इससे मच्छर और ठंड दोनो से उसका बचाव हो सकेगा। जब आप बच्चे को घर से बाहर ले जाएं तो कार में भी तेज हीटर न चलाएं। अगर बाहर तेज ठंड है तो बच्चे को स्वेटर, टोपी, मोजे आदि पहनाएं। ठंडी हवा में खासकर बच्चे का सिर, मुंह, नाक और छाती ढंकी रहे यह ध्यान रखें। बच्चों को इस मौसम में ऊनी या सिंथेटिक कपड़ों से एलर्जी भी हो सकती है।
तमाम सावधानियों के बाद भी कई बार बच्चे पर मौसम का असर हो सकता है या किसी और से बच्चे तक संक्रमण आ सकता है। ऐसे में सर्दी-जुकाम होने पर भी बच्चे को पर्याप्त मात्रा में लिक्विड देते रहें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। माँ का दूध इस समय भी जारी रखा जा सकता है। छह महीने के बच्चे को तो आप दाल का पानी या मैश किये हुए फल आदि भी दे सकते हैं।
-हीटर जैसे किसी भी साधन का उपयोग बहुत जरूरी होने पर ही करें।
-बच्चे के सिर सहित पूरे शरीर की हलके हाथों से की गई मालिश उसकी स्किन को मॉइश्चर से भरपूर रखती है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को भी सही रखती है। इससे बच्चे को नींद भी अच्छी आती है और उसका पूरा विकास होता है। मालिश के बाद कुछ देर बच्चे को हल्की धूप में जरूर ले जाएं।
-विशेषज्ञों की मानें तो एक नवजात का साल भर में 6-10 बार सर्दी-जुकाम का शिकार होना आम बात है। बच्चों के कमरे में पूरी साफ-सफाई हो, उनके कमरे में खाने-पीने की चीजें खुली न रखें, उनके सभी कपड़े नियमित धोएं और अपने हाथ अच्छे से धोकर ही उसके पास जाएं।
बहुत ही लाभप्रद जानकारी दी गई है