*फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने होली की शुभकामनाओं के साथ सुरक्षित होली की अपील जारी की*
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सभी विधाओं के फार्मेसिस्टों के संयुक्त फेडरेशन ‘फार्मेसिस्ट फेडरेशन’ ने प्रदेशवासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए एक एडवाइजरी जारी की है ।
फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री अशोक कुमार ने कहा कि घर के बने मिष्ठान व पकवान से ही अपने मेहमानों का स्वागत करें । बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओ का ख़्याल रखें ।
हृदय रोगी, अस्थमा के रोगी भी अपने सेहत का ध्यान रखते हुए होली का आनंद लें ।
होली खेलते समय पूरी बांह के मोटे कपड़े पहने, जूते पहने, सर पर तेल लगा कर टोपी लगाएं और शरीर के खुले हुए भाग पर कोई भी तेल या मास्चराइजर लगाए ,
सिर पर टोपी और आंखों पर चश्मा लगा कर होली खेलने जाएं।
ध्यान रखिएगा बाजार के मिलावटी तेल, घी और खोये से बनी मिठाइयाँ आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकती हैं |
बाजार के मिलने वाले खोये में उबली आलू, शकरकंद के अलावा कई नुकसानदायक सामग्री को मिलाकर बेचा जा सकता है | जिसमें फंगल ग्रोथ होने की संभावना बनी रहती है ।
इसी प्रकार नमकीन आदि में भी खूब मिलावट की जाती है और सस्ते तेल में बनाया जाता है । ऐसी चीजों का सेवन करने से लोग बीमार पड़ सकते हैं | ऐसे में उचित यही रहेगा कि मिठाई, गुझिया और नमकीन आदि घर पर बनाएं और बाजार के खोये की जगह घर मे बना खोया या मेवे के साथ सूजी का इस्तेमाल करें ।
मधुमेह, गुर्दा, ह्रदय व उच्च रक्तचाप के रोगी खानपान में विशेष परहेज बरतें । होली की मस्ती में अत्यधिक मिठाई, घी, तेल और नमक का सेवन न करें, नहीं तो होली का त्योहार आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा । अगर इन बीमारियों से आप ग्रसित हैं तो अपने चिकित्सक द्वारा बतायी गयी दवाओं का सेवन नियमित करते रहें ।
*हर्बल रंगों का प्रयोग करें*
फेडरेशन ने रासायनिक रंगों से बचने की सलाह दी और कहा कि बाजार में होली के समय बिकने वाले रासायनिक रंग बाल, आँख व त्वचा के लिए अत्यंत नुकसानदेह हो सकते हैं | अगर यह रंग किसी भी प्रकार से शरीर के अंदर चले जाएं तो श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, गुर्दे, लीवर और ह्रदय तक को नुकसान पहुंचाते हैं । इसलिए होली पर घातक रासायनिक रंगों की जगह हर्बल रंगों का प्रयोग लाभदायक होता है । लेकिन हर्बल रंग बाजार में अत्यंत महंगे बिकते हैं, इसलिए अक्सर नकली लेबल लगा कर रासायनिक रंग को हर्बल रंग बना कर बेचते । ऐसे में उचित होगा हल्दी, चंदन, रोली मिला कर घर पर अबीर बनाएं। टेसू, गेंदे के फूल, मेहंदी की पत्तियों और चुकंदर को उबाल कर गीला रंग भी बना सकते हैं ।
*भरसक प्रयास करें कि होली में सूखे रंग का ही प्रयोग करें।* मौसम बदल रहा है गीली होली से नुकसान हो सकता है ।
बच्चों को अकेले में होली न खेलने दें।
*गर्भवती माताओं का रखें ध्यान*
जब होली की हुड़दंग हो तो गर्भवती माताओं को इससे दूर रहना चाहिए।
होली खेलने के बाद रंग को छुड़ाने के लिए ब्लीच, कपड़ा धोने का साबुन, कास्टिक या अन्य किसी घातक केमिकल का प्रयोग ना करें। रंग को छुड़ाने के लिए अपने दैनिक प्रयोग का साबुन ही इस्तेमाल करें। उबटन से भी रंग छूट जाएगा ।
*शराब और अन्य किसी भी नशे से बचिए*
होली में शराब और भांग से दूर रहें क्योंकि इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और नशे की स्थिति में लोग अक्सर ऐसे कृत्य कर बैठते हैं, जिसके लिए हमेशा पछताना पड़ता है। नशे के कारण होली के समय सड़क दुर्घटना, की भी आशंका बढ़ जाती है।
फेडरेशन के संयोजक के के सचान, विद्याधर पाठक, साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर हरलोकेश नारायन यादव, सलाहकार समिति के चेयरमैन डॉ जितेंद्र कुमार जैन, छात्र समिति के चेयरमैन आदेश यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक, उपाध्यक्ष ओ पी सिंह, राजेश सिंह, डीपीए के अध्यक्ष संदीप बडोला, महामंत्री उमेश मिश्रा, वेटनरी संघ के अध्यक्ष पंकज शर्मा, महामंत्री शारिक हसन खान, आयुर्वेद संघ के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश पांडेय, महामंत्री रविन्द्र शुक्ला, होम्योपैथिक संघ के अध्यक्ष हरिशंकर मिश्र महामंत्री शिव प्रसाद, केजीएमयू संघ के अध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय,मंत्री प्रदीप कुमार गुप्ता, संविदा संघ के अध्यक्ष प्रवीण यादव, सचिन, ईएसआई के अध्यक्ष उदयवीर सिंह, महामंत्री संजीव मित्तल, कारागार संघ के अध्यक्ष आनंद मिश्रा, महामंत्री संजय सिंह, समाज कल्याण संघ के अध्यक्ष ए आर कौशल, महामंत्री सूर्य प्रकाश , एस जी पी जी आई के अध्यक्ष दिनेश चंद्र, सैफई मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष राजीव यादव, महामंत्री शिव प्रकाश, लोहिया संस्थान के अध्यक्ष अशोक उमराव ने प्रदेश वासियों को होली की बधाइयाँ दी हैं और सुरक्षित होली खेलने का अनुरोध किया है ।
फेडरेशन ने कहा कि समाज मे हर तरफ फार्मेसिस्ट अपनी बेहतर सेवा के लिए तत्पर है इसके साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रहा है । इसी क्रम में यह एडवाइजरी जारी की गई है ।