टेस्ट कार्ड घर बैठे जान सकेंगे नवजात में पीलिया का कारण

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हर मां और नजदीकी डॉक्टर के पास पहुंचे कार्ड
कार्ड को विश्व स्तर पर मिली मान्यता

 

 

 

 

लखनऊ । फादर ऑफ पीडियाट्रिक गैस्ट्रो एवं संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रो विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो.एसके याचा ने संजय गांधी पीजीआई में पीडियाट्रिक्स गैस्ट्रोइन्ट्रोलाँजी के स्थापना दिवस पर व्याख्यान में कहा कि कलर कार्ड जरिए घर बैठे मल और पेशाब के रंग और कार्ड पर बने रंग के स्ट्रिप से मैच कर नवजात में पीलिया का कारण जान सकते हैं। इस कार्ड को बनाने वाले प्रो. याचा ने बताया कि इस कार्ड को विश्व स्तर पर मान्यता मिल चुकी है। यह कार्ड सभी नजदीकी बाल रोग विशेषज्ञ के पास होना चाहिए, जिससे पीलिया के कारण का तुरंत पता कर इसका सही इलाज संभव हो।

 

 

 

प्रो. याचा संस्थान के पीडियाट्रिक विभाग के स्थापना दिवस पर व्याख्यान देने संस्थान आए हुए थे। प्रो. याचा ने कहा कि नवजात में पीलिया जन्म के पांच या छह दिन बाद होता है, तो कारण का तुरंत पता करना चाहिए। कुछ में इलाज तीन महीने के अंदर न होने पर लिवर फेल्योर हो सकता है। लिवर में परेशानी का इलाज भी जल्दी होना चाहिए। इलाज के कई विकल्प है। देखा गया है कि 60 फीसदी से अधिक लोग काफी देरी में इलाज के लिए आते हैं। पीलिया का कारण जल्दी पता लगे और इलाज हो इसमें यह कार्ड काफी कारगर है। इस कार्ड में बने रंग स्ट्रिप और मल , मूत्र के रंग से मैच कर बताया जा सकता है कि पीलिया बाइल डक्ट में रुकावट या लिवर में खराबी के कारण है। सामान्य पीलिया तो भी पता लग जाता है।

 

 

कार्यक्रम में प्रो उज्जल पोद्दार, प्रमुख, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने सिलियेक रोग और इसके उपचार में ग्लूटन मुक्त आहार की भूमिका पर विशेष जोर देने के साथ बच्चों में छोटे आंत्र दस्त पर एक रोचक व्याख्यान दिया। भारत में क्षय रोग बहुत सामान्य है, लेकिन यह क्रोहन रोग नामक बीमारी जैसा दिखता है, जो आंतों के तपेदिक के समान व्यवहार करता है। इन दोनों स्थितियों का उपचार पूरी तरह से अलग है। प्रो अंशु श्रीवास्तव ने बताया कि पेट के सी टी स्कैन के आधार पर इन दोनों स्थितियों में कैसे अंतर किया जा सकता है।बच्चों में यकृत रोग के कारण वयस्कों से भिन्न होते हैं और उनके उपचार के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। डॉ. मोइनक सेन सरमा, एसोसिएट प्रोफेसर, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने उस विषय पर एक जानकारीपूर्ण चर्चा की। डॉ अर्घ्य सामंत, सहायक प्रोफेसर, पीडियाट्रिक्स गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने बच्चों में एक्यूट पिकियांट्रिस के बारे में चर्चा की, जो उचित उपचार न मिलने पर घातक हो सकता है। प्रो लक्ष्मी कांत भारती ने बच्चों में पोषण की भूमिका पर चर्चा की।

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