पीजीआई में पीजी असेम्बली
अंग प्रत्यारोपण और आटो इम्यून डिजीज के लोगों में अधिक है संक्रमण की आशंका
लखनऊ । अंग प्रत्यारोपण और आटो इम्यून डिजीज के मरीजों में इम्यूनो सप्रेसिंव दवाएं( शऱीर की प्रतिरक्षण क्षमता कम करने की दवाएं) चलती है जिसके कारण इनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है ऐसे में इनमें हर तीसरे और चौथे में बैक्टीरिया, वायरस, फंगस के संक्रमण होता है। संक्रमण किस कारण यह पता अब चार से पांच घंटे में लगाया जा सकता है।
संजय गांधी पीजीआई में इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पीजी असेम्बली में आयोजक प्रो. अतुल गर्ग और विभाग की प्रमुख प्रो. रूगमी एस एन मारक ने बताया कि हम लोगों ने माल्डी टाफ और बायोफायर विशेष तकनीक स्थापित किए है जिसके जरिए 72 से एक महीने लगने वाली जांच की रिपोर्ट मरीज को चार से पांच घंटे में मिल जाती है। कारण का पता शुरुआती दौर में लगने इलाज शुरू हो जाता है।
संक्रमण की रफ्तार कम हो जाती है। बताया कि माल्डी टाफ एमएस तकनीक का उपयोग करके दुर्लभ यीस्ट , फंगस और परजीवी का पता लगता है। बायोफायर बहु पैरामीट्रिक है जिसमें नमूना संग्रह के बाद 2 घंटे का रिपोर्ट मिल जाती है। वीआईडीएएस प्रणाली का उपयोग करके आईसीयू/वार्डों में एंटीबायोटिक से संबंधित दस्त पैदा करने वाले एजेंट क्लॉस्ट्रिडिओइड्स डिफिसाइल का पता लगता है।
कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर डीन डा. शालीन कुमार, डीन, विभाग के प्रो. चिन्मय साहू ने कहा कि बीमारियों की हुई वृद्धि हुई जिसके जल्दी कारण पता करना और इलाज जरूरी है।लिवर तथा किडनी ट्रांसप्लांट मरीजों की जांच की रिपोर्ट देर से आने पर मरीजों को इलाज के लिए लम्बी डेट का इंतजार करना पड़ता था।अब इन मरीजों को भी रिपोर्ट चौबीस घंटे मे मिल जायेगी।