शहर में डेंगू का पैनिक तेजी से बढ रहा है। ज्यादातर निजी व सरकारी अस्पतालों में लक्षणों के आधार पर डेंगू का इलाज शुरु कर देते है और डेंगू की जांच कराते है निगेटिव आने पर भी तत्काल मलेरिया की जांच नही कराते है और देर हो जाने के कारण मलेरिया का मरीज बन जाता है और उसकी जान पर बन जाती है।
बदलते मौसम के कारण वायरल के मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ रहा है। सबसे डेंगू व मलेरिया का कहर बरप रहा है। दोनों में लक्षण काफी मिलते जुलते है। ऐसे मरीज तो डेंगू के डर घबरा जाता है और बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम होने पर तुरंत उसे चढाना शुरु कर देते है।
ध्यान से लक्षणों को परखे डाक्टर व जांच दोनों की करायी जाए
डेंगू की जांच से प्लेटलेट्स की जांच करायी जाती है। अगर डेंगू निगेटिव है तब भी इलाज तो चलता रहेगा लेकिन मलेरिया की जांच नही कराते है ऐसे मरीज हालत बिगड जाती है। केजीएमयू के वरिष्ठ फिजिशियन प्रो. कौसर उस्मान का कहना है कि काफी संख्या में मरीज गंभीर आ रहे है जिनका इलाज तो डेंगू का चल रहा है लेकिन जांच में मलेरिया निकलता है। ऐसे में मरीज को तत्काल एंटी मलेरिया डोज दिया जाने लगता है। जो कि देर से देने में मरीज और गंभीर हो जाता है। उन्होंने बताया जांच दोनो बीमारियों की करायी जाए और लक्षणों को ध्यान से परखा जाएतो अंतर समझ आ जाता है। इसमें जल्द बाजी नही करनी चाहिये।