लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने एक बार फिर एक बार फिर लावारिस मरीज को नई जिंदगी दे दी है। डॉक्टरों ने इस बार 45 दिन कोमा में रहे लावारिस मरीज इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो गया। तमाम कोशिशों के बावजूद लावारिस मरीज के रिश्तेदार और किसी परिजन का पता ना चला। इसलिए उसे सामाजिक संस्था के सुपुर्द किया गया है।
संस्था उसके बारे में जानकारी एकत्र कर रही है।
जानकारी के अनुसार बारह दिसंबर 2021 को पुरनिया चौराहे के पास सड़क हादसे में युवक घायल अवस्था में था, सिर में गंभीर चोटें थीं। स्थानीय पुलिस युवक को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कर दिया। मरीज को इमरजेंसी न्यूरोसर्जरी विभाग में शिफ्ट किया गया।
न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. बीके ओझा ने बताया कि भर्ती के समय घायल मरीज कोमा में था। उसकी स्थिति बहुत गंभीर बनी हुई थी।
जटिल सर्जरी कर मरीज की जान बची थी। सभी डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों की लगातार कोशिशों और देखभाल से मरीज की स्वास्थ्य में लगातार सुधार होता गया। कोशिशों के बाद धीरे-धीरे मरीज होश में आने लगा।
डॉ. ओझा ने बताया कि मरीज मैं पूरी तरह होश में आने के बाद अपना नाम रमेश बताया। पिता का नाम दुर्गादेव सिंह बताया। खुद को सिवान जिले के सोनबरसा गांव का निवासी बताया। डॉक्टरों ने मरीज के बताए पते पर संपर्क किया। ग्राम प्रधान से बात की। प्रधान ने बताया कि मरीज का कोई भी रिश्तेदार व परिजन गांव में नहीं बचा है। मरीज की सौतेली मां और बच्चे हैं, जो कि रमेश को घर में नहीं रखना चाहते हैं। इसके बाद डॉक्टरों ने और पूछताछ की, तो उसने बताया कि वह कई वर्षों से लखनऊ में अलीगंज के पास पुरनिया में रहता हैं। एक मालिक के घर पर पेंटर एवं सहयोगी का काम करते हैं। अस्पताल कर्मचारी पहली मार्च को पुरनिया स्थित बताए गए पते पर पहुंचे। जहां पर बातचीत के बाद मालिक ने उसको रखने से मना कर दिया।
डॉ. ओझा ने बताया कि मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हो चुका है। अपनी देखभाल स्वंय कर सकता है। सामाजिक संस्था उम्मीद ने युवक की मदद को हाथ बढ़ाया है। संस्था के पदाधिकारी मरीज को डिस्चार्ज कराकर साथ ले गए।