जीव के भीतर अपार शक्ति निहित है: डॉ. कौशलेंद्र

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श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग पर भावपूर्ण व्याख्यान, श्रद्धालु भावविभोर

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कृष्ण-सुदामा की मित्रता: भक्ति का प्रताप

विवाह उत्सव की भव्य झांकी

भक्ति और संकल्प की महिमा

रासलीला,काम पर विजय की कथा

शिव की उपस्थिति और गोपी गीत की व्याख्या

लखनऊ । श्री मद भगवद फाउंडेशन एवं नारायण बाल विद्या मंदिर द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठवें दिन मनकामेश्वर शनि हनुमान मंदिर में डॉ. कौशलेंद्र महाराज द्वारा श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग का संगीतमय वर्णन किया गया। कथा के दौरान भक्ति और भावनाओं का ऐसा संगम हुआ कि श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

महारास का गूढ़ रहस्य,डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने रास पंच अध्याय के गूढ़ रहस्यों को उजागर करते हुए कहा कि महारास के पांच अध्यायों में गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो इन्हें श्रद्धा से गाता है, उसे वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है और वह भवसागर से पार हो जाता है।

श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह की झांकी अत्यंत मनोरम रही। जैसे ही विवाह प्रसंग कथा में आया, मंडप में चारों ओर से पुष्पवर्षा होने लगी। श्रद्धालु झूम उठे और वातावरण कृष्णमय हो गया।
कथा व्यास ने कहा, “जीव परमात्मा का अंश है, अतः उसमें असीम शक्ति होती है। यदि कोई कमी होती है, तो वह केवल संकल्प की होती है।” उन्होंने यह भी बताया कि सच्चे और निष्कपट संकल्प से प्रभु स्वयं सहायता करते हैं।
रासलीला को श्रीकृष्ण की सर्वोच्च लीला बताते हुए उन्होंने कहा कि यह काम-विकास नहीं, बल्कि काम पर विजय की कथा है। कामदेव ने भी अपना सामर्थ्य दिखाया, पर अंततः पराजित हुआ।

महाराज ने भगवान शंकर के रासलीला में सम्मिलित होने का विशेष उल्लेख किया। गोपी गीत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “जब जीव में अहंकार आता है, तब भगवान दूर हो जाते हैं। पर विरह में जब कोई रोता है, तब श्रीकृष्ण करुणा करके दर्शन देते हैं।

कथा के अंतिम दिन कृष्ण-सुदामा प्रसंग का वर्णन हुआ। सुदामा की निष्काम भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें न केवल अपनाया, बल्कि मित्र का दर्जा भी दिया।
कार्यक्रम में सुमन मिश्रा, कमलावती मिश्रा, कंचन, रेनू, अन्नपूर्णा, वंदना, मजूं, रंजना, मानसी, मधु, प्रीति, सीमा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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