पीजीआई –निदेशक के चयन में एक्ट का हो अनुपालन
निदेशक के कार्यकाल में 24 संकाय सदस्य संस्थान छोड़े
लखनऊ। निदेशक के चयन में संस्थान के एक्ट का पूरी तरह पालन करने की मांग संजय गांधी पीजीआई फैकल्टी फोरम ने की है। पत्रकार वार्ता में फोरम के अध्यक्ष डा. अमिताभ आर्या और महामंत्री डा. पुनीत गोयल ने कहा कि संस्थान के एक्ट (1983) के अनुसार निदेशक पद चयन के लिए 65 वर्ष या पांच साल जो भी पहले यह तय किया गया है। निदेशक का कार्य पांच साल को होता है, इसलिए जिसकी उम्र 60 साल या इससे कम उसे ही निदेशक बनाया जाए।
जिससे वह पांच साल तक संस्थान के प्रगति के लिए काम कर सके। नियमानुसार 65 वर्ष की आयु के बाद निदेशक संस्थान में सेवा नहीं दे सकते है। सात फरवरी को वर्तमान निदेशक का कार्यकाल खत्म हो रहा है ऐसे में फैकल्टी फोरम का कहना है कि इनको एक्सटेंशन एक्ट के विरूद्ध होगा। जब तक निदेशक का चयन नहीं होता है तब के लिए संस्थान के वरिष्ठ संकाय सदस्य को कार्यकारी निदेशक बनाया जाए जैसा कि पहले होता रहा है। फैकल्टी फोरम ने आरोप लगाया कि निदेशक का कार्यकाल खत्म होने वाले है इसके बाद संकाय सदस्य सहित अन्य नियुक्ति प्रक्रिया कर रहे हैं। तीन महीने पहले इनका पावर सीज नहीं किया गया जो एक्ट के विरूद्ध है। निदेशक ने तीन माह के पावर सीज की हरी झंडी न मिलने पर अपने पावर का इस्तेमाल करके बगैर एच ओ डी के सहमति के बाद चिकित्सको की भर्ती का कार्य कर रहे हैं जबकि एच ओ डी की सहमति पर ही विभागो में चयन किया जाता है और अपने चेहतो को ही सेवानिवृत्ति उपरांत उन्हें पुनर्नियुक्त किया जबकि उस पद पर नयी भर्ती हो चुकी है और उस पद की आवश्यकता ही नहीं बची है।निदेशक को सात फरवरी के बाद एक्सटेंशन दिया जाता है तो फैकल्टी फोरम आम सभा बुला कर आगे की कार्रवाई तय करेगी। पीजीआई के एक्ट का उल्लंघन किसी भी हाल में
सहन नहीं किया जाएगा। हर स्तर तक विरोध किया जाएगा।
पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि सीनियर प्रोफेसर की वार्षिक एसीआर( एनुअल कंफीडेंशन सियल रिपोर्ट) पिछले चार साल से मुख्य सचिव को नहीं भेजी है जिससे उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। इससे सीनियरटी की हानि संकाय सदस्यों को ही रही है।निदेशक के कार्यकाल में 24 संकाय सदस्य संस्थान छोड़ने को मजबूर हुए। इस विषय़ के साथ अन्य विषय़ों के बारे फैकल्टी फोरम ने मुख्य सचिव , राज्यपाल को अवगत करा दिया है।
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