लखनऊ। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो देश में गत वर्ष के मुकाबले तेरह प्रतिशत अधिक एंजियोप्लास्टी हुई हैं। इस वर्ष में 5.75 लाख लोगों ने एंजियोप्लास्टी करायी है। इनमें 60 प्रतिशत लोग ऐसे भी मरीज हैं, जिनकी एंजियोप्लास्टी दिल का दौरा पड़ने के बाद की गयी है। यह जानकारी पीजीआई में चल रही इंटरवेंशन कार्डियोलाजिस्ट कांफ्रेंस के दूसरे दिन शनिवार को संस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सत्येन्द्र तिवारी ने कहीं।
डॉ. तिवारी बताते हैं कि यह आंकड़ा दिल के मरीजों की संख्या के मुकाबले काफी कम है। इसकी बड़ी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है। काफ्रेंस में इंटरवेंशन तकनीक से की गई कई मरीजों की एंजियोप्लास्टी का लाइव प्रसारण कर जूनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टरों को बताया गया।
एशियन विवेकानंद हार्ट सेंटर मुरादाबाद के कार्डियोलाजिस्ट एवं पीजीआइ के एल्यूमिनाई डा. राज कपूर के मुताबिक कई बार मेन आर्टरी के साथ उससे निकलने वाली शाखा में रूकावट होती है ऐसे में यदि शाखा वाली रक्तवाहिका लंबी है, तो उसमें स्टंट लगा कर खोलने की जरूरत होती है।
पीजीआई के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप कुमार बताते हैं कि मुख्य रक्त वाहिका में रूकावट होने पर जरूरी नही है कि बाई पास सर्जरी ही की जाये। इंटरवेंशन तकनीक आने से इसके 10 से 15 फीसदी मामलों में एंजियोप्लास्टी से इसका इलाज संभव है। डॉ. सुदीप बताते है कि इंटरवेंशन तकनीक बाई पास सर्जरी के मुकाबले कही ज्यादा सुरक्षित (सेफ) है। मुख्य रक्त वाहिका के मुख्य द्वार पर ब्लॉकेज होने पर भी एंजियोप्लास्टी संभव हो गई है। अमूमन ऐसी स्थिति में पहले एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती थी।
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