संविदा पर डाक्टर की नियुक्ति कर बचने की कोशिश
लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में
एमबीबीएस की मान्यता भी खतरे में आ गयी है। फैकल्टी में मानक के अनुसार डाक्टर न होने पर संस्थान प्रशासन तीन विभागों में संविदा के आधार पर तैनानी करके बचाव का रास्ता तलाश रहा है, ताकि मान्यता पर खतरे में न आये।
बताते चले कि लोहिया संस्थान में ओपीडी व इमरजेंसी के मरीजों को आंकड़ा देखा जाए तो पांच हजार से ज्यादा आते हैं। लोहिया अस्पताल का विलय होने के बाद यहां 34 प्रांतीय चिकित्सा सेवा के डॉक्टर तैनात हैं। इसमें मानसिक रोग विभाग, नेत्र रोग, त्वचा रोग विभाग में एक- एक डॉक्टर तैनात हैं। सुपर स्पेशियलिटी की डिग्री हासिल करने वाले डाक्टरों की प्रतिनियुक्ति 31 मार्च को समाप्त हो रही है। प्रतिनियुक्ति खत्म होने से इन विभागों के मरीजों को संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में इन विभागों के मरीजों को काफी
परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा देखा जाए तो लोहिया संस्थान में एमबीबीएस पाठ¬क्रम के लिए 34 डाक्टरों का होना आवश्यक है। लोहिया संस्थान प्रशासन एमसीआई में इनके होने का प्रमाण पत्र दिया गया है। संस्थान प्रशासन और शासन की ओर से प्रतिनियुक्ति को बढ़ाने की दिशा में अभी तक कोई कवायद शुरू नहीं की गई है, जबकि देखा जाए तो 20 मार्च तक संस्थान को दोबारा एमसीआई को प्रमाण पत्र देना है। संस्थान ने संविदा पर डाक्टरों के मांगे है, जिनकी आवेदन की अंतिम तारीख 25 मार्च है।
इस बार में संस्थान के मीडिया प्रवक्ता डा. श्री केश सिंह का क हना है कि
संविदा के आधार पर संकाय सदस्य नियुक्त किया जा रहा है। निर्धारित समय पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का प्रयास है। अगर किसी तरह की दिक्कत आती है तो शासन और एमसीआई को भी अवगत कराया जाएगा।