इस तकनीक से बचा जा सकता है,डायबिटिक फुट से

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लखनऊ। डायबिटीज मरीज को पैरों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लापरवाही बरतने पर डायबिटिक फुट हो सकता है। ऐसे में अगर पैरों में अल्सर बनना शुरू हो जाए, तो प्लास्टिक सर्जन्स के परामर्श पर अल्सर को नयी तकनीक से सर्जरी करा कर डायबिटिक फुट की दिक्कतों से बचा जा सकता है। यह बात यूके-यूपी प्लास्टिक सर्जंस ऑफ इंडिया की द्वारा आयोजित कान्फ्रेंस में कोयम्बटूर के गंगा हास्पिटल के डॉ. मधु पेरियासामी ने कही। यह दो दिवसीय कान्फेंस किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आयोजित की गयी।

 

 

डॉ. मधु पेरियासामी ने कहा कि डायबिटीज के मरीज को डायबिटीक फुट होने की संभावना ज्यादा बनी रहती है। प्रतिदिन पानी से पैरों को साफ करना आवश्यक है। पैरों को पोछने में नरम तौलिए का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि डायबिटीज मरीजों के पैर ज्यादा देर तक नमी में नहीं रहना चाहिए। इससे पैर में घाव बन सकते है,जो आगे चलकर अल्सर हो सकता हैं। इलाज में देरी से ऐंडी या फिर तलवे तक मरीज को कटने की संभावना बन सकती है। डॉ. मधु ने कहा कि डायबिटीज मरीजों में घाव नयी सर्जरी की तकनीक से आसानी से ठीक नहीं होते हैं। मरीजों को जूतों का चुनाव भी डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि ऐंडी या तलवे में घाव हो गया तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करके इलाज कराना चाहिए। इलाज में देरी से पैर काटने की नौबत आ सकती है।

 

 

 

मेंदाता गुड़गांव के डा. आदित्य अग्रवाल ने बताया कि युवा वर्ग में ब्रोस्ट कैंसर बढ़ रहा है। अभी लोगों में ब्रोस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है। ब्रेस्ट रिकस्ट्रटिव सर्जरी से कैंसर मरीजों में आत्मविश्वास बढ़ता है। उन्होंने बताया कि ब्रोस्ट की सर्जरी की नयी में अब किसी हद तक नेचुरल लुक दिया जा सकता है।

 

 

 

इसके अलावा काफी लोगों में जन्म जात ब्रोस्ट साइज में दिक्कत या अन्य कमियां होती है, जिसे बताने में हिचकिचाहट होती है। ऐसे लोगों को प्लास्टिक सर्जन से परामर्श लेना चाहिए। नयी तकनीक की सर्जरी दोबारा आत्मविश्वास बन जाता है आैर किसी को पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है।

 

 

 

जयपुर के डा. मनीष जैन ने बताया कि कोरोना काल में म्यूकर माइकोसिस फंगस के कारण बहुत से लोगों की आंख नाक व चेहरा विकृत हो गया। पहले इसको ठीक करने के लिए कई चरणों में सर्जरी की जाती थी, लेकिन उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ही वन टाइम सर्जरी में चेहरे की विकृति को प्लास्टिक सर्जरी की नयी तकनीक से कम कर दी गयी।

 

 

 

केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. विजय कुमार ने बताया कि नयी तकनीक से एक्सीडेंट से लेकर डिजीज में अंग में आयी विकृति या अन्य कारणों से हुई दिक्क्त को ठीक किया जा सकता है। समय पर विशेषज्ञ डाक्टरों का परामर्श व सर्जरी आवश्यक है।

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