-कुम्भ लग्न-मध्यान्ह 12ः37 से 02ः09 तक (व्यवसायिक स्थल पर पूजा)
-वृषभ लग्न-सायंकाल वृष लग्न सायं 5ः16 से 07ः13 तक (घर में पूजा)
-सिंह लग्न-रात्रि 11ः44 से 01ः58 तक (ईष्ट साधना सिद्धि के लिए)
-महानिशिथ काल-रात्रिकाल 11:25 से 12:17 (काली पूजा व तांत्रिक पूजा)
-गोवर्धन पूजा कल, भाई दूज परसों
लखनऊ । इस दीपावली पर श्रीगणेश-लक्ष्मी पूजन के तीन मुहूर्त मिल रहे हैं। इस दिन शुभ लग्न में प्रथम पूज्य भगवान गणेश, श्री लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें। महानिशिथ काल में महाकाली का पूजन करना चाहिए। महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति शत्रु भय से मुक्ति और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है। महालक्ष्मी मंत्र, कुबेर जी का मंत्र आैर दक्षिणावर्तीं शंख, श्री यंत्र, गोमती चक्र, लक्ष्मी-कुबेर यन्त्र, हल्दी की गांठ , लघु नारियल आदि को भी स्थापित करने से सुख सौभाग्य धन वृद्धि होती है।
इस बार दीपावली अमावस्या तिथि को शनिवार सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग है। अमावस्या तिथि 14 नवम्बर दिन में 2:17 से प्रारम्भ होकर 15 नवम्बर को प्रात 10:36 तक है । गणेश आैर लक्ष्मी की पूजा के लिए स्थिर लग्न में श्रेष्ठ है और काली पूजा अमावस्या मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है। अमावस्या के बाद 15 नवम्बर को सुबह 10 बजे के बाद गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जायंेगा। लोग घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते है और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करते है। मन्दिरों में छप्पन भोग लगाते है। इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित किये जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं। सांयकाल राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन करतें है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। गोवर्धन पूजा मुहूर्त दोपहर बाद 03:17 बजे से सायं 5:24 बजे तक रहेगा। भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 16 नवम्बर को मनाया जाएगा। इसी पर्व के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी होगा। रक्षाबंधन की तरह से त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। ये दिन भाई बहन के लिए सबसे ज्यादा खास होता है, क्योंकि इस दिम बहनें अपने भाइयों को अपने घर भोजन के लिए बुलाती है और उन्हें प्यार से खाना खिलाती है भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं। इस दिन यमुना में डुबकी लगाने की परंपरा है। यमुना में स्नान करने का बड़ा ही महत्व इस दिन बताया गया है। भाईदूज- यम द्वितीया को यमुना नदी या यमुना का स्मरण कर स्नान करना चाहिए और दोपहर में बहन से तिलक कराके उसे उपहार प्रदान करें। कायस्थ समाज के लोग यमद्वितीया के दिन अपने कुल प्रमुख भगवान चित्रगुप्त का पूजन करते है। भाई दूज का टीका का मुहूर्त दिन 12ः56 से 03ः06 तक है।
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