इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में यह योग है कारगर

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न्यूज़ । लगातार धूम्रपान करना, अल्कोहल का सेवन करना, तनाव तथा गलत खान-पान के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा होने से कार्डियक और शुगर की बीमारी होने की 70% संभावना होती है ।इनसे धमनियों और ब्लड सरकुलेशन में नुकसान पहुँचता है जो नपुंसकता बनाने में कारगर हो सकती है। अगर रिसर्च की बात करें तोें देखा गया है कि योग करने से नपुंसकता के कारक बहुत कम हो जाते हैं। अगर उदाहरण देखा जाए तो, “दी जर्नल ऑफ़ दी एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियन ऑफ़ इंडिया” में प्रकाशित एक शोध में पाया गया है कि शोधकर्ताओं ने जब 43 ऐसे पुरुष जिन कार्डियक की दिक्कत थी । उनको योग विशेषज्ञ की देखरेख में योग करवाया तो उनकी कार्डियक दिक्कत की समस्या कम हो गई थी। देखा जाए तो क्लिनिकल प्रैक्टिस में “लैंसेट एंड डायबिटीज रिसर्च” में अध्ययन किया गया है कि योग उच्च रक्तचाप और डायबिटीज़ का योगासन आपके शरीर को आराम देते हैं और ब्लड सरकुलेशन को बढ़ाते हैं, जिसके कारण नपुंसकता इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से राहत मिल सकती है।

बताए गए योग विशेषज्ञ के निर्देशन में करना चाहिए ताकि सही तरीके से करने पर बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके।

स्तंभन दोष के लिए पश्चिमोत्तानासन के फायदे
पश्चिमोत्तानासन पैल्विक मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है , जो लंबे समय तक बैठे रहने से तनावग्रस्त हो जाती हैं और साथ ही यह आसन रक्त प्रवाह को बेहतर करने में मदद करता है। यह आपको शांत करने और हल्के अवसाद से राहत देने का भी काम करता है और नपुंसकता की परेशानी को कम करता है।

पशिच्मोत्तासन के द्वारा मेरूदंड (रीढ़ की हड्डी) लचीला व मजबूत बनता है । उसकी रीढ़ की हड्डी झुकती नहीं है। यह मेरूदंड के सभी विकार जैसे- पीठदर्द, पेट के रोग, यकृत रोग, तिल्ली, आंतों के रोग तथा गुर्दे के रोगों को दूर करता है। इसके अभ्यास से शरीर की चर्बी कम होकर मोटापा घटने लगता है तथा मधुमेह का रोग भी नियंत्रण में रहता है।

नपुंसकता के लिए उत्तानासन के लाभ –
उत्तानासन तीव्र स्ट्रेच आपके तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है। कुछ योग गुरुओं के अनुसार यह नपुंसकता में मदद के साथ-साथ पाचन में सुधार और पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा और शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होती है। आप इस आसन को 30 से 40 सेकंड तक कर सकते हैं।

धनुरासन है नपुंसकता के लिए लाभदायक
धनुरासन में आसन में हाथो का उपयोग सिर, धड़ और टांगों को ऊपर खींचने के लिए प्रत्यंचा की तरह किया जाता है। शरीर को धनुष के समान मुद्रा में फ़ैलाने चाहिए। यह प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने और इन अंगों में जाने वाले रक्त के प्रवाह में मदद करता है। यह आपके शरीर के सामने वाली सभी मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में भी मदद करता है जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन को कम करने में मदद मिलती है।

आप इस आसन को 20 से 30 सेकंड तक कर सकते हैं।

योग में इन बातों का खास तौर से ध्यान रखें:
याद रहे की योगाभ्यास से आराम निरंतर अभ्यास करने के बाद ही मिलता है और धीरे धीरे मिलता है।

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