लखनऊ। अब थोक दवा व्यापार करने वालो को लाइसेंस के लिये पंजीकृत फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता होगी । इसमें भारत सरकार ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की सम्बंधित धारा 64 (2) में संसोधन का प्रस्ताव स्वीकार किया है । इस पर प्रभावित लोगो से आपत्तिया मांगी गयी हैं । उत्तर प्रदेश फार्मेसी कौंसिल, राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ , डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश सहित अन्य संघो ने इसका स्वागत किया है ।
राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने भारत सरकार को एक पत्र भेजकर जनहित के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।श्री यादव ने साथ ही यह भी सुझाव दिया है कि फार्मा क्षेत्र में जहाँ भी औषधियां हैं वहां फार्मासिस्ट की अनिवार्यता होनी चाहिये। वर्तमान में चल रही दवा दुकानों पर भी नवीनीकरण के समय फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता का सुझाव दिया गया है ।
लगभग 15000 छात्र प्रतिवर्ष पंजीकृत होकर फार्मेसिस्ट बन रहे हैं –
ज्ञातव्य है कि फार्मासिस्ट की व्यापक शिक्षा भारत में चल रही है । डिप्लोमा फार्मेसी के साथ बेचलर, मास्टर डिग्री, पी एच डी, डॉक्टर ऑफ़ फार्मेसी के लगभग 15000 छात्र प्रतिवर्ष पंजीकृत होकर फार्मेसिस्ट बन रहे हैं, उक्त निर्णय से इनकी उपयोगिता बढ़ेगी और औषधियों की गुणवत्ता सही रहेगी ।
श्री सुनील यादव के अनुसार औषधियों का भण्डारण अत्यंत तकनीकी प्रक्रिया है, अगर दवाओंं का भंडारण सही ने नहीं हुआ तो उसकी क्षमता कम हो सकती है , कुछ दवा तो गलत भंडारण से ख़राब होकर नुकसान भी पहुंचा सकती है । फार्मेसिस्ट को औषधि के सम्बन्ध में केमिस्ट्री, फार्मास्यूटिक्स, स्टोर प्रबंधन आदि का विस्तृत ज्ञान प्राप्त कर फार्मासिस्ट समाज में आ रहे है।
यादव ने कहा कि वर्तमान में 70000 फार्मासिस्ट उत्तर प्रदेश में और भारत में लगभग 12 लाख फार्मासिस्ट पंजीकृत हैं, इसलिये यह व्यवसाय अब पूरी तरह प्रशिक्षित हाथों में जाना जनहित में अनिवार्य हो गया है ।
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