लखनऊ। कोरोना के बाद अब दांतों की बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज में बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी, क्योंकि दांतों का डॉक्टर इलाज के दौरान मरीज के मुंह के एकदम समीप होता है। अगर मरीज कोरोना संक्रमित हुआ, तो इलाज कर रहा डॉक्टर या टेक्नीशियन संक्रमित आसानी से हो सकता है। इस लिए दांतों के इलाज में अब ज्यादा सावधानी बरतते हुए दांतों का इलाज करने की आवश्यकता है। यह बाते किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल फैकल्टी के डीन डॉ. अनिल चन्द्रा ने बुधवार को कोविड-19 से बचाव के प्रति डॉक्टरों को प्रशिक्षित कार्यक्रम में दी। डेंटल फैकल्टी के डीन डॉ. अनिल चन्द्रा ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण व लॉकडाउन के कारणों से सभी अस्पतालों की ओपीडी प्रभावित चल रही है। जब भी अस्पताल खुलेंगे तब डॉक्टरों को बहुत सावधानी के साथ खास कर डेंटल के डाक्टरों को मरीजों का इलाज करना होगा।
अब इलाज के दौरान मास्क, ग्लाब्स व पीपीई किट पहनकर इलाज मुहैया कराने की कोशिश की जाए। इसके अलावा सोशल डिस्टैसिंग का भी पालन करना होगा। यहीं नहीं मरीज के इलाज के बाद तत्काल ग्लब्स व मास्क आदि बदलना होगा। ताकि एक मरीज का संक्रमण दूसरे में जाने से रोका जा सके। डेंटल फैकल्टी के डॉ. कौशल किशोर अग्रवाल के मुताबिक सर्दी-जुकाम, बुखार व गले में खराश लेकर आने वाले मरीजों को संदिग्ध मरीज के दायरे में रखना होगा, यह सभी लक्षण कोरोना वायरस संक्रमण के हैं। उन्होंने कहा हालांकि कि हर सर्दी-जुकाम कोरोना नहीं है। फिर भी सावधानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि कूड़ा प्रबंधन के नियमों का भी पालन करें। इस्तेमाल ग्लब्स, मास्क, सिरिंज आदि से भी संक्रमण फैलने का खतरा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. राजीव, डॉ. रिचा खन्ना, अंजनी पाठक, डॉ. विजय शाक्य व डॉ. सुमित पाल मौजूद थे।
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