लखनऊ – इस आसन में शरीर की आकृति धनुष के समान हो जाती है इसलिए इसका नाम धनुरासन रखा गया है। इसको करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और घुटनों तक अपनी टांगें मोड़ ले। दोनों हाथ से सावधानी पूर्वक अपने टखने पकड़ लीजिए। इसके बाद पैरों को बाहर की ओर धीरे-धीरे खोलते हुए स्वास को छोड़ते हुए घुटनों को ऊपर उठाएं। इस पूरी प्रक्रिया से शरीर धनुष नुमा बन जाएगा ज्यादा से ज्यादा अपने शरीर को ऊपर की ओर तानी पेट का भाग जमीन को स्पष्ट करना चाहिए। जब तक आसानी से सांस रोककर के इस आसन को कर सकते हैं, करते रहे ना कर पाने की स्थिति में स्वास को छोड़ते हुए वापस अपनी पोजीशन पर आ जाए।
इस तरह इस आसन का एक चक्र पूरा हो जाएगा ।कम से कम 3 और 5 चक्रों का अभ्यास करें। इस आसन के लगातार अभ्यास करने से पेट में कब्ज बदहजमी गैस की शिकायत दूर हो जाती है। देखा गया है इसके अभ्यास से कमर पतली और सीना चौड़ा होने लगता है। इसके अभ्यास से गला हाथ और कंधों के व्यायाम अच्छे तरीके से हो जाते हैं। यही नहीं शोषण संबंधी बीमारियों में भी यह आसन कारगर रहता है। योग विशेषज्ञों का मानना है एक तरह से यह आसन हमारे लिवर और पेनक्रियाज ग्लैंड की मसाज कर देता है। इस आसन को करते वक्त ध्यान देने के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर कार्डियक प्रॉब्लम हो, हाई ब्लड प्रेशर हो, हर्निया की दिक्कत के अलावा गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास बिल्कुल ना करें।
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