ट्रामा सर्जरी में जल्द ही एमएस कोर्स : डा. संदीप

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लखनऊ। डाक्टर किसी भी क्षेत्र का हो, उसे एडंवास ट्रामा लाइफ सपोर्ट सिस्टम( एटीएलएस) व ट्रामा केयर के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यह जानकारी एम्स के पूर्व निदेशक एवं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर के प्रो. एमसी मिश्र ने 9वीं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर (आईएसटीएसी) की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में कही। यह कार्यशाला किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अटल बिहारी बाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में ट्रामा सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित करायी गयी है। आज ट्रामा से जुड़े विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा एवं जानकारी दी गई। इसके अलावा लोगों को हेलमेट भी बांटा गया। इसके अलावा ट्रॉमा सर्जरी विभाग में एमएस कोर्स शुरू होगा।
डा. मिश्र ने कहा कि ट्रामा मरीज की जान बचाने के लिए सबसे पहले उस मरीज की हालत को स्थिर करना आवश्यक होता है। इसके बाद ही इलाज का अगला चरण शुरू होता है।

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जरनल सर्जरी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रमाकांत ने इफर्ट ऑन रोड सेफ्टी विषय पर कहा कि देश की सड़के कितनी सुरक्षित हैं और किस प्रकार से उन्हें और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके साथ ही सड़क पर छुट्टा घूमने वाले जानवरों के लिए सरकार से विशेष कानून बनाकर उसका सख्ती से अनुपालन कराए जाने की मांग की, ताकि जानवरों की वजह से होने वाली दुर्घटना के मामलों में कमी आये।

पैरामेडिकल साइंसेस के डीन डॉ. विनोद जैन ने हॉस्पिटल नेटवर्किंग एंड ट्रामा प्रोटोकॉल इन ट्रामा विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि रैंकिंग के आधार पर किस प्रकार से अस्पतालों का प्रबंधन तय किया जाए। ताकि मरीज को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि कोशिश की जानी चाहिए कि ट्रामा के मरीज को सबसे नजदीक के चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के साथ ही ट्रामा से जुड़ी उपचार सुविधा उपलब्ध हो सके और सभी अस्पतालों में समन्वय स्थापित हो सके, ताकि किसी मरीज को रेफर करते समय किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ बीके ओझा ने ट्रामा ब्रोन इंजरी पर कहा कि गंभीर सिर की चोटों के प्राथमिक इलाज के तरीके के बारे में बताते हुए कहा कि सांस की नली और सर्वाइकिल स्पाइन (रीढ़ के ऊपर की हड्डी) को सुरक्षित रखा जाए, तो भी बहुत सी जान बचायी जा सकती हैं।

ट्रामा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी ने डैमेज कं ट्रोल सर्जरी पर कहा कि अपने व्याख्यान में बताया कि किस प्रकार से गंभीर में पहले कम्प्लीट सर्जरी की जाती है, अगर कही से ब्लीडिंग हो रही है तो वहां की सर्जरी करते पैच वर्क करना चाहिए, ताकि अंगों की स्थिति को भी साथ में देखा जा सके। करीब तीस से चालीस मिनट बाद मरीज की हालत को देखते हुए कम्प्लीट सर्जरी करनी चाहिए। इसके बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर देता चाहिए।

ट्रामा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्रा ने ट्रामा से जुड़ी कानूनी पेंचीदगियों पर बताते हुए कहा कि अगर हम किसी भी मरीज को अस्पताल पहुंचाते है तो पुलिस या किसी अन्य को अपने जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है । कार्यक्रम में केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी ने डॉ. समीर मिश्रा, डॉ. विनोद जैन, डॉ. अनीता, डॉ. यादवेंद्र को सम्मानित किया

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