लखनऊ। संजय गांधी पी जी आई में मरीजों का इलाज महंगा मिलेगा। 60 से 70 प्रतिशत तक कम दरों पर मिलने वाली दवाओं के लिए मरीजों को ज्यादा शुल्क देना होगा। पहले इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक काफी संख्या में दवा व इलाज में प्रयुक्त होने वाला सामान हास्पिटल रिवालिग फण्ड से मिसलिनियस सामान के तहत कम शुल्क में मिल जाता था। इसके अलावा पीजीआई में रेडियोलाजिकल, न्यूक्लियर स्कैन, लेबोरेटरी सहित अन्य परीक्षण में संस्थान प्रशासन ने स्लैब के आधार पर 15 साल बाद दरों में वृद्धि की है।
हास्पिटल रिवालिग फण्ड की मैनेजमेंट कमेटी की बैठक हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मिसलिनेयस सामान के तहत आने वाली दवा आैर सामान को खरीद शुल्क पर मरीजों को उपलब्ध कराया जाए। इस व्यवस्था को सुचार रूप से चलाने के लिए निदेशक प्रो आर के धीमान ने सहमति प्रदान कर दी है।
वही पीजीआई में रेडियोलाजिकल, न्यूक्लियर स्कैन, लेबोरेटरी सहित अन्य परीक्षण में संस्थान प्रशासन ने स्लैब के आधार पर 15 साल बाद दरों में वृद्धि की है। रासायनिक कीटों के महंगे होने और दर में वृद्धि न होने के कारण संस्थान का इंवेस्टीगेशन रिवाल्विंग फंड 20 से 30 फीसदी घाटे में चल रहा था। संस्थान पहले ने नो प्रॉफिट ने लास के तर्ज पर शुल्क दर तय करता है। संस्थान प्रशासन का कहना है कि दरों में वृद्धि के बाद भी बाजार या कारपोरेट जांच केंद्रों के मुकाबले 50 से 70 कम दर पर जांच किया जा रहा है। संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. गौरव अग्रवाल का कहना है कि जिस परीक्षण का शुल्क 5 हजार से अधिक है उस पर केवल 10 फीसदी की वृद्धि की गयी है।
इस स्लैब में बढ़ा रेट
100 रूपए से कम के जांच-50 फीसदी
101 से 500- 25 फीसदी
501 से 2000- 20 फीसदी
2001 से 5000 – 15 फीसदी
5000 से अधिक- 10 फीसदी
70 फीसदी से विशेष जांच की परीक्षण किट विदेशों से आता है। डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण किटों की कीमत बढ़ गयी है जिसके कारण शुल्क बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा।