गोल्डनआवर में इलाज, बच सकती है मरीज की जान

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लखनऊ। सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति, दिल का दौरा या स्ट्रोक के मरीजों को यदि समय रहते इलाज मिल जाए तो उनकी जान बचायी जा सकती है। समय पर सही इलाज मिलना ‘गोल्डन आवर कहा जाता है। इसके दौरान मरीज को अगर तत्काल चिकित्सा मदद मिल जाए तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। यह समय सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यह जानकारी कॉन्क्लेव ऑफ मेडिकल इमरजेंसी एंड ट्रॉमा (कॉमेट-2025) में डॉ. लोकेंद्र गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करना और विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना है। इस सम्मेलन में वशेषज्ञों द्वारा डॉक्टर्स को गोल्डन ऑवर के दौरान क्या करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विशेषज्ञों ने डाक्टर्स को प्रशिक्षण देते हुए जानकारी दी कि गोल्डन ऑवर में मरीज चाहे हार्ट अटैक को या एक्सीडेंट मरीज। उसे प्राथमिक चिकित्सा में सबसे पहले क्या कि या जाए आैर मरीज के गंभीर होने पर उसे निकटम बड़े ट्रामा सेंटर किस तरह भेजा जाए। प्रशिक्षण दिया गया। डा. लोकेन्द्र ने बताया कि प्रदेश मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार स्वास्थ्य के द्रों तक इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो रहा है। डाक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

कॉन्क्लेव ऑफ मेडिकल इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सम्मेलन का मुख्य विषय ‘गोल्डन ऑवर’ रखा गया है। सम्मेलन में गोल्डन ऑवर में मरीज के इलाज में अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन व एमआरआई का प्रयोग क ब किया जाए। इसकी जानकारी दी गयी। डा. शुभाकर ने बताया कि इमरजेंसी में मेडिसिन का महत्वपूर्ण रोल होता है। इसकी भी जानकारी दी गयी।

 

 

 

 

 

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