लखनऊ। आम रोगी के शारीरिक एवं आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार से चिकित्सा की जानी चाहिए कि जिस चिकित्सा पद्धति द्वारा उसके रोग में कम औषधियां अथवा कम प्रक्रियाओं से लाभ मिल सकता है। उसी पद्धति से ही उसकी चिकित्सा होनी चाहिए, अन्यथा रोगी को आर्थिक हानि और चिकित्सा पद्धति को अपयश की प्राप्ति होती है ।
यह बात प्रयागराज के महाकुंभ में आयोजित आयुष महाकुंभ एवं ग्लोबल आयुष एक्सपो 2025 में इंदौर के प्रख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक और सी सी आर एच, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने कही। कार्यंक्रम में डॉ गोविंद शुक्ला निदेशक वित्त पंचायती राजउत्तर प्रदेश सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर व मेडिकल छात्र मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा का लाभ ही लाभ है। होम्योपैथी से हानि होती ही नहीं, होम्योपैथी चिकित्सक उन मरीजों का उपचार इलाज करते हैं जो अक्सर कहीं अन्य जगह से ठीक नहीं होते हैं, ंचिकित्सक भी लोगों की चिकित्सा के साथ साथ, सामाजिक समरसता बनाने का कार्य करते हैं,’जीवेम शरदः शतम का मतलब है, ‘हे सूर्य, हम सौ वर्ष तक जीवित रहें’. यह वाक्य अथर्ववेद में मिलता है. हमारे ऋषि-मुनियों ने सौ वर्षों तक स्वस्थ जीवन जीने की कामना की थी.आयुर्वेद हमारे जीवन शैली में शामिल हैहोम्योपैथी उन मरीजों की चिकित्सा करता है। जिन्हे अन्य सभी चिकित्सक मना कर देते हैं प्रतिदिन योग प्राणायाम ध्यान अवश्य करें। सभी चिकित्सा पद्धवत्तियों को एकीकृत होने की आवश्यकता है।हड्डी की कमजोरी और ए वी एन को भी होम्योपैथी ठीक कर सकती है।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रयागराज में आने वाले लोगों को आयुष चिकित्सा के द्वारा स्वस्थ रखना है। आयुष महाकुंभ में दैनिक योग, ध्यान, प्राणायम एवं आयुर्वेद तथा होम्योपैथी के विशेष सत्रों के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ भी स्वस्थ रहने के सरल तरीके सुझाएंगे। सम्पूर्ण देश से पधारे प्रसिद्ध आयुष चिकित्सा विशेषज्ञ निःशुल्क परामर्श एवं उपचार प्रदान करेंगे। इस दौरान आयुष, शिल्पकला, गृह उद्योग, हस्तशिल्प एवं खाद्य समेत 36 वर्गो की प्रदर्शनियाँ भी लगाई जाएंगी।