लखनऊ। केजीएमयू के पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय सिंह ने तुर्की के एंटाल्या में एशिया पेसिफिक आर्थोपेडिक एसोसिएशन कांग्रेस -२०१८ की २०वीं कांफे्रस में बच्चों में आर्थोपेडिक से संबंधित होने वाले चार रोगों के शोध पत्र प्रस्तुत किये। प्रो.अजय सिंह द्वारा प्रस्तुत किये गये शोध पत्र में प्रमुख रूप से बच्चों में होने वाले कूल्हे की गठिया रोग के बारे में बताया गया है। डा.अजय के मुताबिक बच्चों के कूल्हे में होने वाले गठिया रोग का मुख्य कारण प्रदूषण पाया गया है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। पीने के पानी के विभिन्न प्रकार का प्रदूषण पाया जा रहा है। इतना ही नहीं धूम्रपान भी एक कारण बनकार सामने आया है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कल्ब फूट जैसी विकृति भी प्रदूषण का बहुत बड़ा हाथ है।
उन्होंने अपने शोध पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण महिलाओं में जेनेटिक बदलाव हो रहे हैं। जिसका असर उनके बच्चों के पैरों में विकृति के रूप में सामने आ रहा है। इसके अलावा उन्होंने चोटिल बच्चों पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने बताया कि कई बार चोटिल बच्चे आते हैं। वह बच्चे कम्पार्ट सिंड्रोम के शिकार होते हैं। बच्चे अपनी समस्या के बारे में सही बता नहीं पाते। इसी कारण से इलाज के दौरान उनका सही डाइग्नोसिस नहीं बन पाता है। जिसके कारण इलाज भी सही दिशा में नहीं हो पाता और हाथ पैर तक काटने की नौबत आ जाती है। उन्होंने बताया कि यदि चोट लगने के चार घंटे के भीतर बायोमर्कर खून की जांच करा ली जाये तो बच्चों का सही दिशा में इलाज किया जा सकता है। इस दौरान प्रो.अजय सिंह के शोध पत्रों की काफी सरहाना भी हुयी। इस कांफ्रेंस में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, ईरान, मलेशिया, श्रीलंका, फिलीपींस, कोरिया समेत कई देश शामिल रहे।
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