लखनऊ – विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी का मामला विपक्ष ने उठाया। सरकार ने जवाब में बताया कि प्रदेश में चिकित्सकों के 8342 और विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 7500 पद हैं। खास बात यह है कि सरकार ने जवाब में बताया कि प्रदेश में चिकित्सकों के कुल 7348 और विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 5000 से ज्यादा पद रिक्त हैं। हालांकि सरकार योजना बनाकर प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी के सदस्य मनोज कुमार पारस और डॉ0 संग्राम यादव ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से सवाल किया था कि क्या प्रदेश में चिकित्सकों की कमी है? यदि हां, तो सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए कोई योजना बनायेगी? यदि नहीं, तो क्यों? विपक्ष के इस सवाल पर सरकार के मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में चिकित्सकों के कुल 8342 पद सृजित हैं, जिसमें 7348 पद रिक्त हैं।
बताया कि चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार कार्यवाही भी की है। बताया कि 2354 रिक्त पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयेग इलाहाबाद को 13 मार्च 2018 को अधियाचन भेजा गया है। चिकित्सकों की अधिवर्षता आयु 60 से बढाकर 62 वर्ष करते हुए 457 चिकित्सक मिले हैं। सेवानिवृत्त चिकित्सकों को पुनर्योजन के माध्यम से रखा गया है। वाक-इन-इन्टरव्यू से 367 चिकित्सकों का चयन किया गया है तो एनएचएम से 881 चिकित्सक मिले हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की कमी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
बसपा के उमाशंकर सिंह ने कहा कि प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 7500 पद हैं, जिसमे 2114 की तैनाती की गयी है। सिंह ने कहा कि 5000 से ज्यादा की विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को कब पूरा किया जायेगा? जिसपर मंत्री ने कहा कि एमएचएम के माध्यम से 841 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती की गयी है, शेष रिक्त पदों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती जल्द ही पूरी कर ली जायेगी। उन्होंने बताया कि बिड मॉडल पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की संविदा पर नियुक्ति की जाती है।
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