लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल यूनिट में जबड़े के साथ जीभ के कैंसर का उच्चस्तरीय नयी तकनीक से सटीक इलाज होगा। नयी तकनीक में चेस्ट नहीं बल्कि हाथ की मांसपेसियों से जीभ व पैर की हड्डी से जबड़ा को बनाया जाएगा। डाक्टरों के अनुसार यह तकनीक अधिक कारगर होगी। यह बात डेंटल यूनिट के मैक्सिलोफेसियल सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. हरीराम ने दी। कार्यशाला में विशेष अतिथि सांसद राज्य सभा बृजलाल ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से ज्ञान का आदान प्रदान होता है।
नई तकनीक सीखने को मिलती है। डॉक्टर समय-समय पर शैक्षिक गतिविधियां करते रहें।
डा. हरीराम सोमवार को डेंटल यूनिट के सीपी गोविला सभागार में आयोजित हेड एंड नेक कैंसर माइक्रो वैस्कुलर एंड रिकॉन्सट्रकटिव सर्जरी पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माउथ कैंसर धूम्रपान व गुटखा के सेवन के कारण तेजी से बढ़ रहा है। लोग समय पर लक्षण लगने पर भी इलाज कराने भी नहीं आते हैं। इधर उधर डाक्टरों ने इलाज कराते रहते है, जिसके कारण मर्ज बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि जीभ या फिर जबड़े के कैंसर की जटिल सर्जरी होती है।
सर्जरी में संक्रमित भाग को हटा दिया जाता हैं। अभी तक जीभ व जबड़े को छाती की मांसपेसियों से निर्माण करते थे, जोकि जल्दी गल जाती है। अब जीभ को हाथ की मांसपेसियों से सफलता पूर्वक बनाया जाएगा। वहीं जबड़े के नीचले भाग को पैर की फैबुला बोन से तैयार किया जाएगा। इसके बाद नसों को आपस में जोड़ दिया जाता है। ताकि रक्त संचार लगातार बना रहे। इससे सर्जरी की सफलता दर में बढ़ती है आैर संक्रमण का खतरा कम होगा।
कार्यक्रम में विभाग प्रमुख डॉ. शादाब मोहम्मद, डॉ. पुनीता मानिक, डॉ. आरके दीवान, डॉ. शेफाली गौतम ने एनेस्थसिया, डॉ. गौरव सिंह ने कैंसर, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह, डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. रवि कुमार सिंह और डॉ. संध्या पाण्डेय ने विभिन्न प्रकार के फ्लैप के विषय पर व्याख्यान दिया।