न्यूज । उत्तर प्रदेश में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को जीवन पर्यंत मान्य करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी संस्तुति दे दी है। आपको बता दें कि अभी तक यूपी में टीईटी प्रमाणपत्र पांच वर्ष के लिए मान्य है। हर पांच वर्ष के बाद अभ्यर्थियों को दोबारा यूपी टीईटी परीक्षा पास करनी होती थी। बताते चलें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने टीईटी को आजीवन मान्य करने के लिए आधिकारिक घोषणा की थी। इसके अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस फैसले को हरी झंडी दे दी है। इससे राज्य में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नौकरी का सपना देख रहे कई उम्मीदवारों को लाभ होगा।
केंद्र के अनुसार यह आदेश 2011 से प्रभावी होगा। इसलिए राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निधारण करने या नया टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे । यूपी में जुलाई 2011 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड ने टीईटी कराया था। उसके बाद 2013 से परीक्षा नियामक प्राधिकारी परीक्षाएं कराता आ रहा है।
प्राइमरी व जूनियर स्कूलो में पढ़ाने के लिए टीईटी अनिवार्य होता है। यह सिर्फ पात्रता परीक्षा है। नए निर्देश के तहत पात्रता आजीवन रहने पर अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा में बैठने से मुक्ति मिलेगी और आवेदन शुल्क भी नहीं जमा करना पड़ेगा। बताते चलें अभी हर अभ्यर्थी दो से तीन साल के अंतर पर टीईटी देता है कि यदि एक साल टीईटी न हो तो उसके प्रमाणपत्र की वैधता बनी रहे।