लखनऊ। उसने तो जिंदगी की जंग हारते हुए अपने दुपट्े से जान देने की कोशिश की थी, लेकिन शायद किस्मत ने कुछ आैर लिख रखा था। उसकी फांसी लगाने के कु छ पल बाद ही बचा लिया गया, लेकिन जिंदगी आैर मौत की जंग में डाक्टरों ने अपनी पारी खेलते हुए, उसे जिंदगी के मैदान में एक बार फिर बुलंद हौसले के साथ वापस ले आये। लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ डा. अविनाश आैर उनके साथ अन्य डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने एक जुट होकर जीवन दान दिया, तो हर कोई कह उठा कि डाक्टर वाकई भगवान का दूसरा रूप होते है।
बताते चले कि 28 जून को इंदिरानगर निवासी 30 वर्षीय महिला ने दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। तीमारदारों के कहना है कि किसी मानसिक तनाव के चलते महिला ने आत्महत्या की कोशिश की थी , जिसके बाद 108 नंबर की एंबुलेंस से उसे लोहिया अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों के अनुसार सूती दुपट्टे से फांसी लगाने की वजह से वह केवल बेहोश हुई थी और उसकी सांसे चल रही थी। अस्पताल लाने पर मरीज की जांच के पता चला कि वह कोमा में चली गयी थी। मरीज के इलाज के लिये बनाई गयी टीम में शामिल डॉ अविनाश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज को जब यहां लाया गया तो वह गंभीर अवस्था में थी।
उसका ब्लड प्रेशर लो था और सांसे भी कम चल रही थी। ऐसे में उसे तुरंत वेंटिलेटर में शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया । लगातार इलाज के बाद वेंटिलेटर पर 30 तारीख को मरीज ने आंखें खोली, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर से शिफ्ट किया गया। उसकी गर्दन के एम आर आई करवाने पर पता चला कि उसकी गर्दन की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर है। इसका इलाज किया जा रहा है। साथ ही उसकी सांस की नली भी दबाव पड़ने के कारण सूजन आ गई। उन्होंने बताया कि पूरी टीम की मेहनत के बाद 28 जून के बाद अब महिला की हालत बेहतर है और वह स्वस्थ है।
कोमा में चली गई मरीज को ठीक करने और उसके इलाज के दौरान देखभाल करने में वेंटिलेटर की टीम में डॉ. डी के त्रिपाठी, डॉ भास्कर प्रसाद, डॉ जे पी तिवारी, डॉ बी बी भट्ट, डॉ एस के सिंह, डॉक्टर शगुफ्ता अंसारी, डॉक्टर जैकी गर्ग, डॉक्टर छाया, डॉ अमृता आदि शामिल रहे। साथ ही इसमें फिजिशियन डॉक्टर अवनीश चंद्र श्रीवास्तव और स्टाफ नर्स विनीता मिश्रा और श्रद्धा शुक्ला भी शामिल रहे।
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