लखनऊ। प्रदूषित वातावरण से एक नहीं कई बीमारियों होने की आशंका हो जाती है। अगर देखा जाए, तो वायु प्रदूषण में कानपुर, वाराणसी व लखनऊ बहुत आगे हैं जहां की हवा फेफड़े को खराब कर रही है, जिससे लोग बीमार हो रहे है यह जानकारी चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. सूर्यकांत ने दी। उन्होंने परामर्श दिया कि मास्क पहनकर घर से बाहर निकलना चाहिए।
प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि लखनऊ, कानपुर और वाराणसी सिर्फ देश में ही नहीं दुनिया के प्रदूषित शहरों में जाना जाता हैं। समय रहते लोगों को प्रदूषण को कम करने की नीति बनानी होगी, क्योंकि यदि ऐसा न हुआ तो आने वाले भविष्य में फेफड़े की अस्थमा व सीओपीडी जैसी बीमारियों के मरीज बढ़ते जाएंगे।
इस अवसर मौजूद चेस्ट फिजिशियन डॉ. रवि भास्कर ने बताया कि वायु प्रदूषण से विश्व में होने वाली हर आठ मौतों में से एक मरीज भारत का है। वर्ष 2017 के आंकड़े का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि करीब 12.4 मिलियन लोग जिनकी उम्र 70 वर्ष से कम थी उनकी मौत का कारण वायु प्रदूषण रहा है। अगर देखा जाए तो भारत की 77 प्रतिशत आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है। डब्लूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि हर साल करीब 7 मिलियन लोगों की मौत हवा में घुल चुके खतरनाक जहरीले कणों के सम्पर्क में आने से होती है।
यह जहरीले कण सांस के रास्ते व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों से होते हुए श्वसन तंत्र को बीमार करते हैं। इन्हीं के कारण लंग कैंसर, स्ट्रोक्स, हार्ट डिजीज व सीओपीडी जैसी जानलेवा बीमारियों के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी यदि सांस लेने में किसी प्रकार की दिक्कत हो तो विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह लें।
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