न्यूज। विश्व की 90 प्रतिशत आबादी प्रदूषित हवा में साँस लेती है तथा वायु प्रदूषण से हर पाँच सेकेंड में एक व्यक्ति असमय काल का शिकार हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर विशेषज्ञों के हवाले से ये आँकड़े जारी किये हैं। उसने बताया कि दुनिया में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 70 लाख लोग समय से पहले मर जाते हैं। इस प्रकार औसतन हर पाँच सेकेंड में इस कारण एक व्यक्ति की मौत होती है। अकाल काल के शिकार 70 लाख लोगों में से छह लाख बच्चे होते हैं।
इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का थीम ”वायु प्रदूषण को मात देना”” रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर के देशों से वायु प्रदूषण को हराकर मानवाधिकार संबंधित उनके कत्र्तव्यों को पूरा करना चाहिये। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनिओ गुतरेस ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा ”इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस का थीम वायु प्रदूषण है। पूरी दुनिया में – महानगरों से लेकर छोटे गाँवों तक – लोग प्रदूषित हवा में साँस ले रहे हैं। दस में से नौ लोग प्रदूषित हवा में साँस लेने को मजबूर हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। इससे लोगों की जीवन प्रत्याशा कम हो रही है तथा अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो रहा है।”
श्री गुतरेस ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पहले हमें दुश्मन को पहचानना जरूरी है। वायु प्रदूषण से होने वाली मौत का कारण हवा के साथ हमारे फेफड़ों में पहुँचने वाले सूक्ष्म कण हैं। ये कण जीवाश्म ईंधनों के जलाने, रसायन और खनन उद्योग, कूड़े को खुले में जलाने, जंगल और खेतों की आग तथा खाना पकाने के लिए अस्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से बनते हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण से हर साल 70 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है तथा बड़ी संख्या में लोगों को अस्थमा जैसी बीमारियाँ होती हैं। इससे बच्चों का विकास प्रभावित होता है। विश्व बैंक के अनुसार वायु प्रदूषण से हर वर्ष 50 खरब डॉलर का आर्थिक नुकसान होता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने लोगों से वायु प्रदूषण नियंाण के उपाय करने की अपील की ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके।
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