लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को डेंगू के दूसरे टीके को मंजूरी दे दी।
डब्ल्यूएचओ का यह कदम दुनिया भर में लाखों लोगों को मच्छर जनित बीमारी से बचाने में मदद कर सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उसने जापानी फार्मास्युटिकल कंपनी टाकेडा द्वारा निर्मित डेंगू के टीके को मंजूरी दे दी है। डेंगू के ज्यादा प्रकोप वाले क्षेत्रों में छह से 16 साल के बच्चों को यह टीका देने की सिफारिश की गई है। दो खुराक वाला यह टीका चार प्रकार के डेंगू से बचाएगा।
टाकेडा के डेंगू के टीके क्यूडेंगा को 2022 में यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा मंजूरी दी गई थी। डब्ल्यूएचओ की मंजूरी का मतलब है कि दानकर्ता आैर अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां गरीब देशों के लिए टीके खरीद सकती हैं।
अध्ययन से पता चला है कि टाकेडा का टीका लोगों को डेंगू से पीड़ित होने पर अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में लगभग 84 प्रतिशत आैर लक्षणों को रोकने में लगभग 61 प्रतिशत प्रभावी है।
डब्ल्यूएचओ के दवाओं आैर टीकों के अनुमोदन के लिए निदेशक, रोजेरियो गैस्पर ने कहा कि यह ”डेंगू के टीकों की वैश्विक पहुंच के विस्तार में एक महत्वपूर्ण कदम है।”” उन्होंने कहा कि यह दूसरा टीका है जिसे संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने डेंगू के लिए अधिकृत किया है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूर पहला टीका सनोफी पाश्चर द्वारा बनाया गया था, जो बाद में उन लोगों में डेंगू के खतरे को बढाता पाया गया जो पहले इस बीमारी से संक्रमित नहीं थे।
लगभग 120 लातिन अमेरिकी आैर एशियाई देशों में गंभीर बीमारी आैर मृत्यु का प्रमुख कारण डेंगू का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। डेंगू में करीब 80 प्रतिशत मामले हल्के किस्म के होते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में आंतरिक रक्तरुााव, अंगों के काम करने की विफलता आैर मृत्यु तक हो सकती है।
मार्च में, ब्रााजील के रियो डी जनेरियो में अधिकारियों ने डेंगू पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की आैर देश ने टाकेडा टीकों का उत्पादन शुरू कर दिया, जिसका लक्ष्य कम से कम 30 लाख लोगों को टीका लगाना था।