लखनऊ । नवजात शिशु अगर बीमार हो और मां के साथ रखा जाये तो बहुत से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होने की संभावना रहती है। यदि मां को दिक्कत हो तो परिवार का कोई सदस्य अपने छाती से शिशु को लगाकर रखे तो उसकी जिंदगी बच सकती है। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित सफदरगंज अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. हरीश चेलानी ने शनिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बाल रोग विभाग के 69वां स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए दी।
उन्होंने बताया कि इसी साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवजात शिशु देखभाल और कंगारू मदर केयर (केएमसी) को लेकर नई गाईड लाइन जारीलखनऊ । नवजात शिशु अगर बीमार हो और मां के साथ रखा जाये तो बहुत से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होने की संभावना रहती है। यदि मां को दिक्कत हो तो परिवार का कोई सदस्य अपने छाती से शिशु को लगाकर रखे तो उसकी जिंदगी बच सकती है। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित सफदरगंज अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. हरीश चेलानी ने शनिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बाल रोग विभाग के 69वां स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि इसी साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवजात शिशु देखभाल और कंगारू मदर केयर (केएमसी) को लेकर नई गाईड लाइन जारी की है, जिसमें बीमार नवजात को उसके जन्म के डेढ़ से दो घंटे बाद ही कंगारू मदर केयर प्रक्रिया का प्रयोग करना चाहिए। अगर मां को दिक्कत हो तो परिवार का कोई भी सदस्य अपनी छाती से बच्चे को चिपका कर रखे तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। आंकड़ों की माने तो विश्व स्तर पर इस व्यवस्था को अपनाने से लगभग 1,50,000 नवजात बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.शैली अवस्थी ने बताया कि पिछले एक साल में विभाग की तरफ से मरीज के देखभाल, अनुसंधान और शिक्षण में सक्रिय भूमिका में रहा है। विभाग में 35,877 बच्चे ओपीडी में देखे गए और 4,841 मरीज विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए भर्ती हुए। उन्होंने बताया कि डायबटिक बच्चों के लिए एक केंद्र की स्थापना की गई है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में नवजात की गहन देखभाल के लिए सेकेंण्ड लेवल नियोनेटल केयर बनाने पर भी विचार चल रहा है।
कार्यक्रम में केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी ,सीएमएस डॉ.एसएन शंखवार,एमएस डॉ.डी हिमांशु,डॉ.सिद्धार्थ,डॉ.शालिनी त्रिपाठी समेत अन्य कई चिकित्सक मौजूद रहे। की है, जिसमें बीमार नवजात को उसके जन्म के डेढ़ से दो घंटे बाद ही कंगारू मदर केयर प्रक्रिया का प्रयोग करना चाहिए। अगर मां को दिक्कत हो तो परिवार का कोई भी सदस्य अपनी छाती से बच्चे को चिपका कर रखे तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। आंकड़ों की माने तो विश्व स्तर पर इस व्यवस्था को अपनाने से लगभग 1,50,000 नवजात बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.शैली अवस्थी ने बताया कि पिछले एक साल में विभाग की तरफ से मरीज के देखभाल, अनुसंधान और शिक्षण में सक्रिय भूमिका में रहा है। विभाग में 35,877 बच्चे ओपीडी में देखे गए और 4,841 मरीज विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए भर्ती हुए। उन्होंने बताया कि डायबटिक बच्चों के लिए एक केंद्र की स्थापना की गई है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में नवजात की गहन देखभाल के लिए सेकेंण्ड लेवल नियोनेटल केयर बनाने पर भी विचार चल रहा है।
कार्यक्रम में केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी ,सीएमएस डॉ.एसएन शंखवार,एमएस डॉ.डी हिमांशु,डॉ.सिद्धार्थ,डॉ.शालिनी त्रिपाठी समेत अन्य कई चिकित्सक मौजूद रहे।