लखनऊ। गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो विशेषज्ञ डॉक्टरों ने असामान्य रूप से सिर दर्द का कारण तलाशा तो पता चला दिमाग में असामान्य नस से हो रही ब्लीडिंग हो रही थी। यह नस मरीज के जन्मजात थी और अक्सर ब्लीडिंग होने पर असामान्य तेज दर्द हो जाता था । जटिल न्यूरो सर्जरी करके विशेषज्ञ डॉक्टरों ने नस को ब्लॉक करके नई जिंदगी दी है। खास बात यह थी कि यह सर्जरी बिना चीरा लगाए की गई । ब्लीडिंग को बंद करने के लिए विशेष प्रकार के एक नए तरह के स्क्विड (गोद) का प्रयोग किया गया है।
डॉक्टरों के अनुसार आजमगढ़ निवासी 19 साल के युवक के सिर में तेज दर्द शुरू हुआ और वह तेज दर्द के कारण बेहोश हो गया। परिजन उसे लेकर स्थानीय डॉक्टर के यहां ले गए, जहां जांच में पता चला कि ब्रेन में बिल्डिंग हुई है , लेकिन दिमाग में ब्लीडिंग होने का कारण डॉक्टर नहीं जान सके। डॉक्टरों ने मरीज को तत्काल बड़े चिकित्सा संस्थान ले जाने का परामर्श देते हुए रेफर कर दिया गया। परिजन मरीज को लेकर लोहिया संस्थान पहुंचे। यहां इमरजेंसी में भर्ती करा दिया। इसके बाद न्यूरो सर्जरी विभाग के डा. कुलदीप यादव ने मरीज जांच की। मरीज की सीटी स्कैन, एमआरआई जांच हुई,लेकिन ब्लीडिंग के कारणों का पता नहीं चल पाया। विचार विमर्श करने के बाद
फिर डिजीटल सब्स्टैक्शन एंजियोग्राफी की गई।
इस जांच में युवक के सिर में दाहिने तरफ खून की नसों के बीच एक नसों का असामान्य जाल (गुच्छा) दिखाई दिया। डॉ यादव ने बताया इसे क्लीनिकल भाषा में एवीएम कहते हैं। यह जन्मजात होता है और उम्र के साथ बढ़ता जाता है। करीब एक लाख मरीजों में किसी एक में होता है। इसी गुच्छे एक नस से ब्लीडिंग हो रहा थी, जो दूसरी नसों को प्रभावित कर रहा था। इस ब्लीडिंग को रोकने के लिए बिना चीरा लगाए जांघ के रास्ते कैथेटर नस से गुच्छे तक पहुंचा गया। वहां स्क्विड (एक तरह की विशेष क्लीनिकल गोंद) डालकर ब्लीडिंग रोक दी गई । अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य है। डॉ यादव ने बताया अन्य प्राइवेट अस्पतालों में इस तरह की सर्जरी में करीब आठ से 10 लाख रुपया खर्च होता है, लेकिन यहां 2.40 लाख रुपए में हो गया । डॉ यादव ने बताया इस सर्जरी में खास बात यह है बंद करने के लिए प्रयोग किया गया स्क्विड यह एक तरह का पदार्थ है, जो प्रदेश के चुनिंदा मरीजों में प्रयोग होता आया है। इसके जरिए एवीएम (आर्टरियोवेनस मालफार्मेशन) से हो रहे ब्लीडिंग को बंद किया गया। इस सर्जरी में डिटैचिबल टिप माइक्रो कैथेटर सोनिक का उपयोग किया गया। यह सर्जरी बेहद कठिन थी। जरा सी असावधानी दूसरी नसों को प्रभावित कर सकती थी. सर्जरी करने वाली टीम में उनके साथ विभागाध्यक्ष डा. डीके सिंह, डा. मोहम्मद कैफ, डा. विपिन, डा. अरुण, डा. विपुल, डा. सतीश, डा. दिवाकर, एनेस्थिसिया से डा. सुजीत राय की टीम, ओटी टेक्ननिशन विपिन मौजूद थे।