IVF तकनीक से जन्मी महिला बनी मां

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डॉ गीता खन्ना का 25 वर्ष का स्वर्णिम आईवीएफ करियर

 

 

 

 

 

लखनऊ। राजधानी वासियों के साथ ही ये उन सभी दंपतियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है जिनकी संतान प्राप्ति की चाहत में अकसर बाधाएं आतीं हैं। आज आईवीएफ तकनीक कोई नई नहीं लेकिन 23 साल पहले जब शहर की पहली आईवीएफ बेटी प्रार्थना ने जन्म लिया तो सभी को अचंभा हुआ था। आज उसी बेटी ने एक बच्चे को जन्म देकर वो तमाम भ्रांतियां तोड़ इस तकनीक के दावे को ओर पुख्ता कर दिया। इसका श्रेय जाता है लखनऊ की मशहूर आईवीएफ विषेशज्ञ डॉ गीता खन्ना को।

 

 

उन्होंने बताया कि मेरे ही हाथों से आईवीएफ संतान प्रार्थना का 1998 में जन्म हुआ था और दो साल पहले ही उसकी शादी हुई। उसने पिछले हफ्ते अजंता अस्पताल और में एक बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि ढाई दशक पहले जब लखनऊ में उन्होंने आईवीएफ शुरू किया तो उन्हें मरीजों, उनके रिश्तेदारों से सभी दिशाओं में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आईवीएफ के लिए मरीज को राजी करना एक कठिन काम था, पिछले 25 वर्षों में अब तक निःसंतान दंपत्तियों को 8000 से अधिक आईवीएफ बच्चे दिए जा चुके हैं। देश-विदेश से दूर-दूर से मरीज आशा की किरण लेकर आते हैं और उनमें से अधिकांश को एक बच्चे का आशीर्वाद मिला। वहीं मां बनी प्रार्थना ने इस मौके पर कहा कि मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है। आज मां बनकर मैंने साबित कर दिया कि आईवीएफ एक सामान्य प्रक्रिया है जो संतान उत्पत्ति में तमाम बाधाओं का निराकरण करती है। आईवीएफ में अपने 25 साल के लंबे सफल करियर और प्रौद्योगिकी के समग्र समुद्र परिवर्तन के बारे में बात करते हुए
डॉ गीता खन्ना ने बताया कि पिछले 25 वर्षों के अनुभव के दौरान आईवीएफ क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के रूप मैंने इन सुखद बदलावों पर गौर किया है जो समय—समय पर होते गए।
1. अब पहले से कहीं बेहतर हार्मोन इंजेक्शन उपलब्ध हैं।
2. प्रतिपक्षी प्रोटोकॉल के कारण बेहतर रोगी सुरक्षा संभव।
3. ओएचएसएस जैसी घातक स्थिति से बड़ी राहत।
4. आधुनिक शुक्राणु चयन तकनीक जैसे माइक्रोफ्लूडिक्स से जांच हुई आसान।
5. ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर लेजर असिस्टेड हैचिंग जैसी बेहतर भ्रूण स्थानांतरण तकनीक।
6. अब बेहतर बेंच टॉप इनक्यूबेशन भ्रूण के सूक्ष्म प्रबंधन को नियंत्रित करता है।
7. आधुनिक पीजीएस द्वारा आनुवंशिक रूप से असामान्य भ्रूण की पहचान।
इसके अलावा डॉ गीता खन्ना ने बताया कि आईवीएफ की सफलता मातृ आयु और उचित रोगी चयन पर निर्भर करती है। निःसंतान दंपत्ति के लिए मेरी अपील है कि वे एक ही छत के नीचे कुशल नवजात देखभाल के साथ एक अच्छे प्रसूति देखभाल अस्पताल का चयन करें।
आईवीएफ में अपने लंबे सफल करियर और प्रौद्योगिकी के समग्र परिवर्तन के बारे में बात करते हुए डॉ गीता खन्ना ने निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी दी।

 

 


1. सभी निःसंतान दंपतियों को आईवीएफ के लिए सीधे सलाह न दें। पहले जांच—परख लें।
2. जान लें,केवल 10-15% को आईवीएफ और आईसीएसआई की जरूरत पड़ती है।
3. बाकी दंपती जोड़े हार्मोनल विसंगति आईयूआई और पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड और गर्भाशय संबंधी बीमारियों का इलाज करके बच्चा पैदा कर सकते हैं। यहां वीर्य असामान्यताएं और पुरुष कार्यात्मक समस्याओं को नहीं भूलना चाहिए।
4. आईवीएफ प्रयोगशाला का गुणवत्ता नियंत्रण।
5. गर्भधारण के बाद उचित देखभाल और प्रसूति संबंधी मार्गदर्शन।
6. उच्च रक्तचाप मधुमेह और अन्य चिकित्सा विकारों जैसे रोगों की प्रारंभिक उपस्थिति का पता लगाना।
7. सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे होनी चाहिए जिससे दंपतियों को होने वाली असुविधा से बचा जा सके और बेहतर रिजल्ट मिले।
और अंत में नया एआरटी कानून एक स्वागतयोग्य कदम तो है ही।

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