*दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति में हृदय प्रक्रिया द्वारा लारी कार्डियोलॉजी में एक साथ बचाई गई तीन जान*
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में विशेषज्ञों की टीम ने गर्भस्थ जुड़वा भ्रूण के साथ महिला जटिल कार्डियक सर्जरी करके नया जीवन दान दिया। विशेषज्ञों की टीम ने जटिल कार्डियक सर्जरी के साथ तीन लोगों को नई जिंदगी दी है।
केजीएमयू प्रवक्ता डा के के सिंह ने बताया कि हृदय रोगी में गर्भावस्था जानलेवा है। यह भ्रूण की हानि के साथ-साथ मातृ मृत्यु का एक बड़ा कारण है। इसी वजह से कुछ हृदय रोग में गर्भधारण वर्जित है।
इस समय हृदय की स्थिति के साथ उनकी गर्भावस्था का प्रबंधन करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
बाराबंकी से 6 महीने की गर्भावस्था वाली 28 वर्षीय महिला सांस की तकलीफ के साथ स्त्री एवं प्रसूति विभाग में आई थी। उसे कार्डियोलॉजी विभाग में रेफर किया गया, जहां पाया गया कि उसके हृदय के एक वाल्व (माइट्रल स्टेनोसिस) में गंभीर संकुचन है।
यह विकट स्थिति थी और समय पर इलाज न होने पर मृत्यु की अत्यधिक संभावना थी। गर्भावस्था स्वयं हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालती है। यह मरीज तो अत्यंत जोखिम वाले हृदय रोग से पीड़ित थी, गर्भावस्था ने इस खतरे को कई गुणा बढ़ा दिया।
इसके अतिरिक्त कम वजन (35 किलोग्राम), खून की कमी (एनीमिया), हेपेटाइटिस सी संक्रमण (जिससे ऑपरेटरों को संक्रमण फैलने का खतरा था) और जुड़वां भ्रूण ने स्थिति को घनघोर चुनौतीपूर्ण बना दिया।
महिला को बैलून माइट्रल वाल्वोटॉमी की आवश्यकता थी। तीन जीवन को बचाने के लिए संभावित खतरों के साथ मरीज का ऑपरेशन करने का निर्णय ले लिया गया।
लारी कार्डियोलॉजी विभाग में मरीज का बैलून माइट्रल वाल्वोटॉमी की गई। यह प्रक्रिया डॉ ऋषि सेठी के मार्गदर्शन में डॉ प्रवेश विश्वकर्मा द्वारा की गई।
विकट गंभीर स्थिति को संभालने में डॉ मोनिका भंडारी, डॉ प्राची शर्मा, डॉ गौरव चौधरी, डॉ अखिल शर्मा और डॉ उमेश त्रिपाठी ने सहायता प्रदान की। यह प्रक्रिया सफल रही और रोगी को उसके लक्षणों से राहत मिली। अब माँ और भ्रूण दोनों स्वस्थ थे।
इस जीवन रक्षक उच्च जोखिम प्रक्रिया के माध्यम से हम तीन लोगों की जान बचाने में समर्थ रहे।
प्रसूति विभाग से रोगी की देखभाल प्रो अमिता पाण्डे, प्रो अंजू अग्रवाल, प्रो शालिनी एवं प्रो नम्रता द्वारा की गई।
इस दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति के सफल प्रबंधन पर कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई देते हुए जुड़वाँ भ्रूणों को धारण किए 35 किलोग्राम से कम वजन वाली गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के लारी कार्डियोलॉजी के प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा की।
प्रो ऋषि सेठी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान इस तरह के रोगी का ऑपरेशन करना बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन परिणाम सुखद है। रोगी बहुत गरीब थी और उसके पास पैसे नहीं थे। यह प्रक्रिया विपन्ना योजना के अंतर्गत की गई, जिसे राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है.