लखनऊ। शिशु को स्तनपान कम कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही अधिक उम्र में विवाह भी स्तन कैंसर का एक कारण हो सकता है। बेहतर और समय पर इलाज से पिछले कुछ वर्षों में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों में कमी देखने को मिली है।
यह जानकारी केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विजय कुमार ने शनिवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के शताब्दी भवन फेज-दो के तीसरे तल पर ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर को लेकर महिलाओं में जागरुकता बढ़ रही है। पहले ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की तीसरी व चौथे अवस्था में अस्पताल आ रही थीं। अब कैंसर की शुरूआती अवस्था में अस्पताल आ रही हैं। समय पर सटीक जांच व बेहतर इलाज से महिलाएं कैंसर से अपनी जंग जीत पा रही हैं।
डॉ. नसीम अख्तर ने बताया कि 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में जीवन में किसी न किसी समय ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 24 में एक को होती है। सतर्कता से ब्रेस्ट कैंसर के खतरों से काफी हद तक बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्तन, ऊपरी छाती या बगल में गांठ या सूजन नजर आए तो संजीदा हो जाना चाहिए।
डॉ. नसीम ने बताया कि स्तन कैंसर की शुरूआत में पहचान के लिए खास एहतियात बरतने की जरूरत है। प्रत्येक महिला को 40 साल के बाद हर एक साल में मैमोग्राफी जांच करानी चाहिए। इसके अलावा सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए। अपने हाथ से स्तन में पड़ने वाली गांठ या बदलाव की पहचान कर सकती हैं।
डॉ. समीर गुप्ता ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर का पता शुरुआती अवस्था में लग जाए तो इलाज आसान हो जाता है। साथ ही पहले के मुकाबले बेहतर तकनीक इसका इलाज आसान बना रही हैं। अब कैंसर के लिए ऐसी काफी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे बेहद कम समय में और बेहद कम साइड इफेक्ट्स के साथ इसका इलाज मुमकिन हो जाता है साथ ही पैशेंट को इससे रिकवर करने में बेहद कम समय लगता है।
शर्म झिझक छोड़े जांच कराएं
कार्यक्रम के दौरान एक स्तन कैंसर विजेता महिला ने आपबीत सुनाईं
लोहिया संस्थान में मेडिकल आंकोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने गोमतीनगर में जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर का पता चलने पर महिला का पूरा जीवन बदल जाता है। ऐसे में महिलाओं में इस बीमारी को लेकर जागरूकता होना जरूरी है। मौजूदा समय में कम उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर हो रहा है। हर साल करीब एक प्रतिशत की दर से स्तन कैंसर बढ़ रहा है। ऐसे में इसको लेकर लोगों को जागरुकता जरूरी है।