लखनऊ। किडनी के मरीजों के आहार पर ध्यान देने के अलावा डायलिसिस की स्थिति प्रोटीन पर रोक लगा दी जाती है। मानक के अनुसार यह गलत माना जाता है। मरीज को पोषक तत्व देना आवश्यक होता है। खान-पान में यह ध्यान रखे कि रिफाइंड का प्रयोग न करने के अलावा वायु प्रदूषण से बच कर रहे। यह जानकारी नयी दिल्ली से विशेषज्ञ डा. अनिल भल्ला ने सोसायटी ऑफ रीनल न्यूट्रीशियन एवं मेटाबोलिज्म की दो दिवसीय कार्यशाला में दी।
उन्होंने कहा कि देश में हर साल दो लाख नये किडनी के मरीज बढ़ रहे हैं, जबकि सिर्फ पन्द्रह सौ किडनी स्पेशलिस्ट है। केजीएमयू नेफ्रोलॉजी के डा. अमित गुप्ता ने कहा कि पेशाब में झांग बनने लगे आैर पैरों मेंंसूजन आ जाए। इसके साथ ही भूख कम लगे तो विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। डा. गुप्ता ने बताया कि हर व्यक्ति को वर्षभर में एक बार पेशाब में प्रोटीन की मात्रा की जांच करा लेनी चाहिए। इसी तरह ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराना भी ज रूरी होता है। इस कार्यशाला मेंं नेफ्रोलॉजिस्ट, न्यूट्रीशियन और फिजिशियन संयुक्त रूप से मरीजों की सेहत सुरक्षा पर मंथन कर रहे हैं। पीजीआई के डा. अनिता सक्सेना ने कहा कि किडनी के काम नहींं करने पर उसका कुपोषण बढ़ जाता है।
शरीर मेंं हिमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से गिरने लगती है। इससे एनीमिया हो जाता है। इसी तरह मसल्स और हड्डी भी कमजोर हो जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज के खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। उसके शरीर के लिए सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि मरीज के वजन के हिसाब से प्रति किलो .6 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। यदि डायलिसिस हो रही है तो प्रति किलो वजन पर 1.2 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। इसके लिए डायटिशियन की सलाह से डाइट चार्ट बनवा लेना चाहिए।
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