लखनऊ। डॉक्टरों में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के निर्णय पर अब डॉक्टरों में ही दो फाड़ हो गया है। पीजीआई फैकल्टी फोरम ने रविवार को इस फैसले के विरोध में पत्र जारी किया गया था, जब कि अब सोमवार को लोहिया संस्थान की फैकल्टी एसोसिएशन ने सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने के समर्थन में पत्र जारी किया है। इसके साथी पीजीआई के सभी तर्कों को नकार दिया है।
लोहिया की फैकल्टी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एसएस राजपूर व महासचिव डॉ ईश्वर रामधायल की ओर से यह पत्र जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि नेशनल मेडिकल कमीशन 70 वर्ष तक फैकल्टी को प्रैक्टिस करने की संस्तुति देता है। ऐसे में शारिरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर आयु के आधार पर प्रश्नचिन्ह लगाना पूरी तरह से निराधार है। पीजीआई के ही कई रिटायर्ड डॉक्टर शहर के निजी संस्थानों में कार्य कर रहे हैं। पत्र में मेदांता के निदेशक बने डॉ राकेश कपूर का उदाहरण भी दिया गया है। साथ ही तर्क दिया है कि प्रदेश में चिकित्सकों की संख्या निरंतर घट रही है और मानकों से कम है। पत्र में कहा गया है कि आयु बढ़ने पर भी प्रशासनिक अनुभव मिलने की प्रक्रिया ऐसे ही चलेगी क्योंकि जो बाद में बनेगा वो भी तो 70 साल तक रहेगा। वहीं नौकरी के अवसर भी कम नहीं होंगे क्योंकि नए मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी पद खाली हैं। अगर देखा जाए तो विकसित देशों में रिटायरमेंट की कोई आयु नहीं होती। चिकित्सा के क्षेत्र में पद रिक्त चल रहा हैं, तो डॉक्टरों के रिटायरमेंट में भी उसका पालन होना चाहिए।