
लखनऊ। दस वर्षो के बाद बन कर तैयार हो गयी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की बर्न यूनिट में अपने में खास होगी। यहां पर आग में झुलसे मरीजों के घाव जब मरहम से अलावा ऑक्सीजन थेरेपी भी दी जाएगी। इसके लिए खास सुविधा के लिए हाईपर बैरिक ऑक्सीजन यूनिट लगाने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन व शासन को भेजा गया है। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के तहत बन बर्न यूनिट के निर्माण में अब तक लगभग दस करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। बर्न युूनिट में इनटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) से लेकर गंभीर हालत में आये मरीजों के तत्काल उच्चस्तरीय इलाज के लिए इमरजेंसी भी बनी है। गंभीर रूप से जले मरीजों के घावों में ड्रेसिंग करना जटिल होता है।
हाईपर बैरिक ऑक्सीजन चैंबर में मरीजों को रखना माना जाता है उच्चस्तरीय इलाज
ऐसे में मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। दवाओं के बाद भी जब घाव भर नहीं रहे होते हैं। इन परिस्थितियों में हाईपर बैरिक ऑक्सीजन चैंबर में मरीजों को रखना उच्चस्तरीय इलाज माना जाता है। इस इलाज में ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे घाव के जल्द ठीक होने की संभावना हो जाती है। इस यूनिट के स्थापित करने में दो करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। इसके लिए शासन व एनएचएम को प्रस्ताव भेज दिया गया है।
प्लॉस्टिक सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. एके सिंह ने बताया कि बर्न मरीजों का यह उच्चस्तरीय इलाज है। उन्होंने बताया कि आग में झुलसे मरीज को विशेष तकनीक से ऑक्सीजन दी जाती है। इस प्रक्रिया में श्वसन प्रक्रिया के माध्यम से ब्लड में ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ जाती है। इससे घाव के जल्दी ठीक होने की संभावना बन जाती है। ब्लड में आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति से घाव जल्द ठीक हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि हाईपर बैरिक ऑक्सीजन आग के साथ अन्य मरीजों के इलाज में कारगर साबित होगी।
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