यहां हिंसक कुत्तों ने हमले में मासूम को किया घायल

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लखनऊ । सीतापुर के तरह लखनऊ के हजरतगंज के रामतीर्थवार्ड में भी आवारा कुत्तों का हिंसक होने लगे है। यहां पर शनिवार की देर शाम को चार वर्षीय मासूम पर इन हिंसक कुत्तों ने अचानक हमला बोल दिया। उस वक्त यह बालक घर के बाहर खेल रहा था। कुत्तों काटने से मासूम बुरी तरह घायल हो गया तो उसके परिजन सिविल अस्पताल से लेकर केजीएमयू ट्रामा सेंटर के कई विभागों में परिक्रमा करते रहे। लेकिन रात भर सटीक इलाज भी नहीं मिल सका। उल्टे उसके परिजनों को एण्टीरैबीज इजेक्शन भी खरीद कर लाना पड़ा। डाक्टरों से इस रवैये से हैरान परेशान परिजन आधा अधूरा इलाज करा के वापस लौट आये।

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रामतीरथ हजरतगंज वार्ड के रहने वाले सफाई कर्मचारी वासु का पुत्र चार वर्षीय अयान शनिवार की रात को लगभग आठ बजे घर के बाहर खेल रहा था। प्रत्यदर्शियों के मुताबिक अचानक सात आठ कुत्तों ने पहले दौड़ाया फिर हमला बोलते हुए नोंचने लगे। हिंसक कुत्तों ने अयान के चेहरे पर सबसे ज्यादा काटा है। उसके होंठों व आखों तक चेहरा बुरी तरह नोचा है। अपने पुत्र को बचाने के लिए पूरा परिवार कुत्तों से भिड़ गया। तो कुत्ते भाग निकले। इसके बाद परिजन मोहल्ले के लोगों के साथ उसे लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में घायल अयान को देख कर जानकारी ली आैर एंटी रेबीज न होने की बात कह कर ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया।

पिता वासु यहां ट्रामा सेंटर पहुंचे तो ट्रामा इमरजेंसी में देखने के बाद बच्चे को इलाज के लिए पीडियाट्रिक विभाग ने भेज दिया गया। जब वह लोग पीडियाट्रिक विभाग पहुंचे तो वहां भी एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने के लिए संबंधित विभाग के लिए भेज दिया गया। विभाग की पूछते हुए एंटी रेबीज विभाग पहुंचे तो वहां एंटी रेबीज इजेक्शन नही है बता कर जख्मों को देखते हुए प्लास्टिक सर्जरी विभाग भेज दिया गया। परिजनों का आरोप है कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग पहुंचे तो वहां कोई भी डॉक्टर नहीं मिला आैर नर्स भी सो रही थी। गार्ड ने जब नर्स को जगाया गया तो उसने वहां की बजाय आंख की चोट देख नेत्र विभाग भेज दिया। परिजन भागते हुए केजीएमयू परिसर के अंदर स्थित लेकर नेत्र विभाग पहुंचे तो वहां फोन कर के एक जूनियर रेजिडेंट को बुलाया गया। तो उसने आंख में टांका लगने की बात बता फिर से प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भेज दिया। इस भाग दौड़ में रात के डेढ बज चुके थे।

घायल बच्चा बुरी तरह से बेहाल हो गया था। काफी देर दौड़ भाग के वह लोग ट्रामा सेंटर ले जाने पहुंचे तो इमरजेंसी के डाक्टरों ने पूरी व्यथा सुनकर ट्रामा सेंटर की डेंटल यूनिट भेजा। जहां पर उसके जबड़े के जख्म पर टांके लगाए गए। इसके साथ ही अन्य स्थानों की ड्रेसिंग भी कर दी गयी। इससे मासूम को कुछ राहत तो मिली, लेकिन इसके बाद भी आंखों के आस-पास घाव का इलाज नहीं हो सका। ट्रामा से फिर से उसे नेत्र विभाग के लिए भेज दिया गया। रात करीब 3 बजे मासूम को लेकर नेत्र रोग विभाग पहुंचे। परिजनों का कहना है कि नेत्र रोग विभाग करीब एक घंटे तक इंतजार करने के बाद जब कोई इलाज नहीं मिला तो वह वापस लौट गये।

परिजनों ने बताया कि मरहम पट्टी करने के साथ ही बाहर की मेडिकल स्टोर से जाकर एंटीरैबीज इंजेक्शन खरीद कर लाये तब कहीं इंजेक्शन लगाया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार का कहना है कि कुत्ते के काटने के बाद तुरंत एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने कोई जरूरत नहीं होती है। 24 घंटे के अंदर लगावाया जा सकता है। इसके अलावा अगर इलाज नहीं मिलता है तो पीआरओ को तत्काल बताना चाहिए। वह पूरी मदद के लिए तत्पर रहते है।

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