यहां जांच करानी है तो बाहर से सामान लाओ

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लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों से जांच के नाम पर निर्धारित शुल्क के अलावा अतिरिक्त जांच में प्रयोग करने के लिए मंगाया जा रहा है। यहां पर सीटी स्कैन,इण्डोस्कोपी समेत अन्य जांचों प्रयोग होने वाले गल्बस, सर्जिकल गाउन के अलावा आवश्यक मेडिसिन भी खरीदना पड़ रहा है। इसको संस्थान प्रशासन सही ठहराता है। इतना ही नहीं जांच में प्रयोग होने वाले सामान देने के बाद भी कई बार जांच रिपोर्ट देने से पहले एक पर्चा और पकड़ा दिया जाता है आैर आरोप लगाया जाता है कि यह सामान तो दिया नहीं था।

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पुर्वाच्चल निवासी आशा बदला हुआ नाम लगभग आठ दिन से संस्थान के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में भर्ती चल रही हैं। उनके इलाज के लिए डाक्टरों ने सीटी स्कैन व इण्डोस्कोपी जांच करायी। परिजनों की माने तो सीटी स्कैन जांच कराने के लिए संस्थान द्वारा निर्धारित शुल्क 3500 रूपये जमा किया तो जांच कराने से पहले एक पर्चा थमा दिया गया, जिसमें जांच में प्रयोग होने वाली दवा, गलब्स तथा सर्जिकल गाउन भी खरीद कर देना पड़ा। यह सब लगभग 3000 रूपये से ज्यादा के थे। इसी प्रकार इण्डोस्कोपी जांच में भी निर्धारित शुल्क 660 रूपये जमा कराने के बाद बाहर से लगभग 600 रूपये की जैली क्रीम समेत पांच गलब्स भी मंगायी। परिजन उत्कर्ष का आरोप है कि जब जांच रिपोर्ट लेने गये तो एक फिर पर्चा थमा दिया गया अौर आरोप लगा कि यह दवा हमने अंदर से लगायी थी, इसे लाकर दो।

अगर देखा जाए तो कमोबेश यही शिकायत सीतापुर निवासी सतीश की भी है। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान उनकी दो तरह की इण्डोस्कोपी हुई थी,जिसमें एक का शुल्क लगभग 600 रुपये था तथा दूसरे का शुल्क 730 रुपये था,शुल्क जमा करने के बाद भी दोनों जांचों के लिए अलग-अलग सामान भी खरीदना पड़ा था। परिजनों ने इसकी शिकायत संस्थान प्रशासन से भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जांच शुल्क व सम्बन्धित सामान खरीदने के बाद लोहिया संस्थान में होने वाली जांचों तथा निजी क्षेत्र में जांच कराने में शुल्क का कोई अंतर नहीं रह जाता।

डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को जांच शुल्क के अलावा दवाइयां, गलब्स आदि बाहर से खरीदना जरूरी होता है, जबकि पीजीआई जैसे संस्थान में मरीज को जांच शुल्क के अलावा कोई अन्य सामान नहीं खरीदना पड़ता है आैर दावा पीजीआई के शुल्क का किया जाता है। डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा.दीपक मालवीय का कहना है कि जांच शुल्क के अलावा उसके लिए सामान सभी मरीजों को खरीदना पड़ता है। यह नियम गलत नहीं है।

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