लखनऊ। पीठ दर्द के बाद आर्थराइटिस सबसे ज्यादा होने वाली मस्कुलोस्केटल दर्द आैर विक लांगता का एक सामान्य समस्या है। इसके लक्षण दिखने पर बाजार में बिकने वाले तेल मालिश से ज्यादा बेहतर विशेषज्ञ डाक्टरों से परामर्श लेकर दवा का सेवन करना चाहिए। यह विशेषज्ञों का मानना है। गठिया रोग विभाग के प्रमुख डा. सिद्धार्थ दास ने पत्रकार वार्ता में कहा कि आस्टियोआर्थराइटिस शहरी क्षेत्र में काफी संख्या में पाया जाता है। आस्टिओआर्थराइटिस में आम तौर शामिल जोड़ आैर रीढ़ की हड्डी के जोड़ है। आस्टियोआर्थराइटिस व आस्टियोपोरिसस पर पहली कार्यशाला का अायोजन किया जा रहा है। जिसमें देश- विदेश के विशेषज्ञ भाग ले रहे है।
डा. दास ने कहा कि आस्टियोआर्थराइटिस पश्चिमी आबादी की तुलना में भारतीयों में घुटने में बढ़ा है। पश्चिम देशों में पुरुषों की कूल्हे में आर्थराइटिस होता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में यह अति व्यस्तता के कारण होता है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर आंतरिक दर्द के साथ तेज दर्द के रुप में शुरु होता है। शुरुआती दौर में केवल एक जोड़ शामिल हो सकता है। अगर ध्यान नहीं दिया तो अन्य जोड़ भी शामिल हो जाते है। ज्यादातर घुटने का दर्द चढ़ाई वाली सीढ़ी के अलावा बस आटो रिक्शा में चढ़ने के दौरान होता है। उन्होंने बताया कि अगर सुबह के वक्त उठने पर जोड़ों में कठोरता आमतौर पर 30 मिनट से कम समय तक रहती है।
आराम या निष्क्रियता की अवधि के बाद होने वाली कठोरता अक्सर होती है। यह कुछ मिनट तक होती है। इसमें सूजन, क्रिप्टस,जोड़, चलने में दिक्कत, मांसपेशियों की बर्बादी हो सकती है। उन्होंने बताया कि अगर शुरुआती दौर में अगर इलाज किया जाता है तो बीमारी ठीक हो सकती है, पर लम्बी समय तक ध्यान न देने पर घुटना प्रत्यारोपण ही विकल्प बचता है। पत्रकार वार्ता में डा. आर एन श्रीवास्तव ने बताया कि इस विषय पर पहली बार कार्यशाला का आयोजन किया जा रही है।