लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी क्रिटकल केयर विभाग ने एंडोब्राांकियल अल्ट्रासाउंड सिस्टम( ईबस) जांच शुरू किया है। आम तौर पर यह जांच अन्य निजी व अन्य संस्थानों में लगभग तीस हजार रुपये में शुरु होती है,लेकिन केजीएमयू में मात्र दो हजार रुपये में शुरु हो रही है। इससे मरीजों को फायदा होगा। इस जांच से फेफड़े के अंदर की गांठ का पता चल जाता है।
वरिष्ठ डा. वेद प्रकाश ने बताया कि फेफड़े में तीन भाग में बीमारियां होती है। पहली एयर बेस, दूसरी पेरेनकाइमा तथा तीसरी प्लूरा होती है। इनमें फेफड़े की पेरेनकाइमा में आसानी से बीमारी पकड़ में नही आती है। इस कारण फेफड़े में ट्यूमर या अन्य प्रकार की गांठ का पता नहीं चल पाता है। उन्होंने बताया कि ईबेस जांच से फेफड़े के अंदर की बीमारी पकड़ में आ जाती है। उन्होंने बताया कि इस जांच के लिए लगभग एक करोड़ रुपये की एडंवास मशीन आ गयी है।
इसकीट¬ूब को मुंह से सांस के रास्ते श्वसन नली में डाल देते है। खास बात यह होती है कि ट¬ूब में कैमरे के साथ- साथ अल्ट्रासाउंड का छोटा सा प्रोब भी लगा है। प्रोब की मदद से फेफड़े के अंदरुनी हिस्सों में अल्ट्रासाउंड करते है। जहां पर गांठ या अनियमित विकृति दिखायी देती है। ऐसी स्थिति में प्रोब पर बैलूनिंग कर निडिल ओपेन करते है। इस निडिल के माध्यम के माध्यम से गांठ से फ्लूड या टिश्यू निकाल कर जांच के लिए भेज देते है। डा. वेद ने बताया कि अभी यह जांच उनके यहां मात्र दो हजार रुपये में की जा रही है। यह सप्ताह में एक बार ही की जाती हंै।
मरीजकी हालत को देखते हुए ब्राांको स्कोपी होती है या ईबेस जांच को कर दिया जाता है। मात्र दो हजार रुपये में जांच होने से मरीजों का इलाज बहुत आसान हो गया है।
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