जीवनशैली में लगातार और तेजी से हो रहे बदलाव कई सारी परेशानियों के कारण बनते हैं। खासकर लंबे समय कार्य करने की बाध्यता इसका प्रमुख कारण बनती है। दरअसल, गर्दन में सात हड्डियां होती हैं, जिनमें उम्र बढ़ने के कारण या लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण दर्द बना रहता है। गर्दन दर्द को ही सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। मगर, इस दर्द को दूर करने के लिए दवाओं पर निर्भर रहना उचित नहीं है इसके लिए योग का अभ्यास बेहतर विकल्प हो सकता है।
दर्द से इस प्रकार करें बचाव –
गर्दन दर्द होने की स्थिति में डॉक्टर और योगविशेषज्ञ की सलाह पर उपचार लें। फोम के गद्दे व तकिए का प्रयोग न करें। गद्दा हमेशा रुई का ही उपयोग करें। हर उम्र के लोगों के लिए योग का अभ्यास करना लाभकारी होता है। इससे रक्त का संचार होता रहता है। गर्दन दर्द की आशंका कम हो जाती है। हर दिन थोड़ा-थोड़ा योगाभ्यास करें, इससे शरीर पर एकदम से दबाव नहीं पड़ता और आपके फिटनेस का स्तर लगातार बना रहता है।
गर्दन दर्द के ये हो सकते हैं कारण –
- गर्दन और मेरुदंड की हड्डियों के अपने स्थान से हट जाने पर
- पुरुष का 40 से 45 वर्ष के बाद और स्त्रियों में 35 से 40 वर्ष के बाद यह दर्द होता है
- वाहन चलाते समय तेजी से लगने वाले झटके से भी दर्द हो सकता है, जिसे व्हिपलेश इंजुरी कहते हैं
- सोने का तरीका, बिस्तर व तकिया भी अगर सही न हो तो गर्दन में दर्द होता है
- बैठने की कुर्सी भी अधिक नर्म होने पर
- पढ़ते या टीवी देखते समय गलत तरीके से बैठना
- व्यायाम या योगाभ्यास नहीं करने से भी कभी-कभी गर्दन अकड़ जाती है
इन योगों का करें अभ्यास –
दर्द से निवारण के लिए निम्नलिखित क्रियाएं 10 से 20 बार दोहराएं।
- सबसे पहले पूरे शरीर का संचालन : पैर की उंगलियों से लेकर सिर तक का संचालन
- गर्दन का संचालन : गर्दन को दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे व साइड में ले जाएं। लेकिन दर्द की स्थिति में गर्दन को गोल नहीं घुमाना चाहिए।
- दीवार के पास खड़े होकर दोनों हाथों को सांस भरते हुए ऊपर उठाकर तानना व सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले जाना।
- आसन : ताड़ासन, शशांक आसन, सर्पासन, मकरासन में स्ट्रेचिंग, क्रोकोडायल 2 का अभ्यास करें।
- प्राणायाम : ऊं का उच्चारण 21 बार करें।
- अनुलोम-विलोम – 20 बार
- भ्रामरी प्राणायाम – 10 बार
- योगनिद्रा – 10 से 20 मिनट
- शवासन – 5-10 मिनट