‘योग’ के नियमित अभ्यास से शरीर में अंतर्निहित शक्तियों को संतुलित किया जाता है। मानसिक एकाग्रता के उच्चतम स्तर को प्राप्त करना है तो नियमित योग करना चाहिए। वह भी किसी पूर्ण प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ के निर्देशन में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद। भारत ही नहीं विश्व के लगभग 99 प्रतिशत देश योग को लेकर विशेष उत्साहित हैं, विश्व की आम जनता का ध्यान अब योग की तरफ आकृष्ट हुआ है।
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सभी पद्धति के चिकित्सक अब खुले मन से योग को स्वीकारने लगे हैं। वे खुद योग्य योग चिकित्सक की तलाश में जुट गए हैं, ताकि बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं निरोग रह सकें, अपने परिवार को रोगों से दूर रखने सहयोगी बने तथा सम्भव बन पड़े तो अपने यहां पहुंचने वाले रोगियों को भी योगासन एवं प्राणायाम के कुछ टिप्स दे सकें।
जब हमें किसी बीमारी से मुक्ति पानी हो तो हमें ये प्रयोग करने चाहिए –
- साधक/मरीज को सर्वप्रथम ‘योग विशेषज्ञ’ जो कि पूर्ण प्रशिक्षित हो, की तालाश करनी चाहिए, ऐसा नहीं कि टेलीविजन देखकर, पुस्तकें पढ़कर, चार्ट देखकर या किसी को व्यायाम या योगासन करते हुए देखकर योगाभ्यास शुरू कर दें, इससे ऐसा सम्भव है कि आपकी बीमारी ठीक न हो और आप अन्य परेशानी मोल ले लें
- योग के शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि बिना योग्य गुरु से प्रशिक्षण प्रा’ किए योग नहीं करना चाहिए, क्योंकि योग शरीर ही नहीं अपितु आपके मस्षि्क पर जोरदार असर डालता हैं यदि आप उम्र, बीमारी, शारीरिक बनावट के अनुसार योग का प्रशिक्षण प्राप्त करके योगाभ्यास की शुरुआत करेंगे तो लाभ उसी दिन से मिलने लगता है जिस दिन से आपने योगाभ्यास करना आरम्भ किया होता है।
- योगाभ्यास के लिए शांत स्वच्छ एवं प्राकृतिक वातावरण होना चाहिए इसके लिए घर के सामने लान, छत, हवादार कमरा जिनकी सभी खिड़किया खुली होंं। अथवा पार्क जहां हरियाली एवं स्वच्छ वातावरण हो, वह उपयुक्त होता है।
- योगाभ्यास के लिए प्रात: एवं सांयकाल का समय उत्तम होता है। योगाभ्सास खाली पेट करना जरूरी है अर्थात शौच आदि से निवृत होने के बाद करें।
- योगाभ्यास के क्रम: फेफड़ा शोधक व्यायाम, योगासन प्राणायाम, ध्यान तत्पश्चात आपको सकारात्मक ऊर्जा की पूर्ति करने वाली प्रार्थना अथवा गीत अवश्य गाने चाहिए।