युद्ध में नहीं मरते इतने लोग जितना इससे मर जाते है…

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेल्बी हॉल में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि विश्व तम्बाकू निषेध का विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा घोषणा किए हुए 31 वर्ष गुजर चुका है, फिर भी 10 लाख लोग प्रतिवर्ष तम्बाकू जनित रोगो से प्रभावित होकर पूरे देश में मौत के मुंह में समा जाते है। ये इतनी बड़ी संख्या है कि बड़े-बड़े युद्ध में भी इतने लोग नही मरते है जितना तम्बाकू की सेवन की वजह से मृत्यु को प्राप्त हो रहे है।

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राज्यपाल श्री नाइक बृहस्पतिवार को केजीएमयू के सेल्बी हाल में आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तम्बाकू का सेवन करने से लोगो को कैसे रोका जाए, इसके लिए कानून बनाया जा सकता है, किन्तु जब तक लोगो में इसके प्रति जागरूकता नही बढ़ेगी, तब तक इसको पूर्णतः रोका नही जा सकता है। उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे डाक्टर भी है जो तम्बाकू का सेवन करते है। इस लिए जब तक जन समुदाय के बीच तम्बाकू के निषेध के लिए मन नही बनेगा, तब तक इसका निषेध नही हो सकता है।

कार्यक्रम में राज्यपाल द्वारा विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी विभाग के प्रमुख प्रो. सूर्यकांत द्वारा तम्बाकू को प्रतिबंधित करने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा गया है, उसको प्रधान मंत्री तक अपने लेटर के माध्यम से भेजने की घोषणा भी की गई। इस अवसर पर क्लीनिकल हिमैटालजी विभाग के प्रमुख डॉ. ए.के. त्रिपाठी के शोध, परिकल्पना पर आधारित लघु फिल्म संवरती जिन्दगी का विमोचन राज्यपाल ने किया। यह लघु फिल्म एनीमिया रोग के बारे में जानकारी तथा सरल रूप से दर्शको को जागरूक करती है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास से निश्चित ही इस रोग को दूर करने में मदद मिलेगी। हमारे देश की आधी से अधिक जनसंख्या एनीमिया से ग्रसित है।

कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट ने कहा कि विश्व मे 60 लाख लोग एवं भारत में 10 लाख लोग परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से तम्बाकू की वजह से मर जाते है। एक तिहाई कैंसर का कारण तम्बाकू है, कार्डियक से जुड़ी 20 प्रतिशत बीमारी तम्बाकू की वजह से होती है। तम्बाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति की औषत आयु 10 वर्ष कम हो जाती है। प्रो. रमा कांत ने कहा कि तम्बाकू से एक भावनात्मक पहलू भी जुड़ा हुआ है। आज लोगो को अपने समाज, अपने परिवार से प्रेम का न प्राप्त हो पाना आैर उपेक्षित रहने के कारण भी तम्बाकू के प्रति नवयुवको को ढकेलता है।

कार्यक्रम में प्रो. सूर्य कांत ने कहा कि तम्बाकू से लगभग 2.50 करोड़ लोगो को रोजगार मिलता है यह भी एक वजह है इसको प्रतिबंधित नही किया जा रहा है। परन्तु भी सच है कि तम्बाकू से जितना सरकार को रेवेन्यू मिलता है उससे कही ज्यादा तम्बाकू जन्य बीमारियों पर रेवेन्यू खर्च करना पड़ता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. विनोद जैन ने कहा कि 1988 से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मानाया जा रहा है। तम्बाकू से करीब 3300 मौते प्रत्येक दिन होती है। इससे करीब 24000 करोड़ रूपये का आय होता है, किन्तु इससे जनित बीमारियों पर 27000 करोड़ रूपये खर्च करने पड़ते है।

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